MP में प्रतिमाओं पर पंगा नया नहीं: जानिए ऐसे और किस्से

MP में प्रतिमाओं पर पंगा नया नहीं: जानिए ऐसे और किस्से
मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में चौराहों पर लगी मूर्तियों के संबंध में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश में 18 जनवरी 2013 के बाद चौराहों पर लगी सभी मूर्तियां हटाई जाए। मध्यप्रदेश में मूर्तियों को लेकर कई विवाद भी जुड़े हैं। कुछ विवाद लंबे चले और चर्चित भी हैं। चाहे इंदौर में संत संत बालीनाथ जी की प्रतिमा का मामला हो या पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह गौड़ की प्रतिमा का मामला, ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाने का मामला हो या भोपाल में पूर्व CM अर्जुन सिंह की प्रतिमा हटाने का मामला। जबलपुर तो चौराहों से धार्मिक स्थल और मूर्तियां हटाने को लेकर मॉडल बनकर उभरा था। कई मूर्तियों को हटाने को लेकर विवाद अब भी है। कई प्रतिमाएं चौराहे से शिफ्ट तो हो गई लेकिन दूसरी जगह अनावरण के इंतजार में है। पढ़िए, ऐसे ही कुछ चर्चित मामले…

भोपाल में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा की रेतघाट तिराहे पर लगी प्रतिमा हो या और सुभाषनगर चौराहे से नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा हटाने का मामला। टीटीनगर स्थित चौराहे से चंद्रशेखर आजाद और पूर्व CM अर्जुन सिंह की प्रतिमा हटाने को लेकर करीब ढाई साल से विवाद चल रहा है। 4 महीने पहले मूर्तियां हटा भी दी गई, जो अब व्यापमं चौराहे पर धूल खा रही है। अनावरण के लिए न तो निगम आगे आया और न ही कांग्रेस ने कोई पहल की। 11 अक्टूबर 2019 में कांग्रेस की सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की प्रतिमा नानके पेट्रोल पंप चौराहे पर स्थापित की गई थी। यहां पर पहले चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा लगी थी। इसके चलते यह मामला हाईकोर्ट में चला गया। करीब चार महीने पहले निगम ने पूर्व सीएम की प्रतिमा को यहां से हटाकर व्यापमं चौराहे पर शिफ्ट कर दिया था। इस दौरान कांग्रेसियों ने आपत्ति भी जताई थी। जिस प्रतिमा को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है, उसका अब तक अनावरण भी नहीं किया गया है। व्यापमं चौराहे की एक साइड में यह प्रतिमा स्थापित की गई है।

भोपाल में ये मामले भी रहे सुर्खियों में

करीब 5 साल पहले रेतघाट तिराहे से डॉ. शंकरदयाल शर्मा की प्रतिमा शिफ्ट की गई थी। इसे लेकर राजनीति काफी तेज रही। कांग्रेस ने इसे लेकर आपत्ति जताई थी। काफी समय तक प्रतिमा कमला पार्क में पड़ी रही थी।
23 जनवरी 2022 को भोपाल के सुभाषचंद्र चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा का लोकार्पण किया गया। यह लोकार्पण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था। दो साल पहले भी चौराहे पर प्रतिमा लगी हुई थी। इसे शिफ्ट करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेता आमने-सामने आ गए थे।
करीब दो साल पहले आर्च ब्रिज के पास रानी कमलापति की प्रतिमा लगाई गई थी। प्रतिमा को लेकर भाजपा और कांग्रेस में विवाद भी सामने आया था।
साल में एक ही बार फूल मालाएं सजाई जाती है

एमपी नगर, लिंक रोड नंबर-1 समेत कई सड़कों के बीच चौराहों पर प्रतिमाएं वर्ष 2013 से पहले स्थापित की गई थी। वहीं, शौर्य स्मारक के सामने चौराहे पर 25 दिसंबर 2020 को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलबिहारी वाजपेयी की कांसे से बनी 12 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया था। अधिकांश प्रतिमाएं धूल से सारोबार नजर आती है। साल में एक बार ही जयंती या पुण्यतिथि के दिन प्रतिमाएं फूल मालाओं से सजाई जाती है।

इंदौर में इन मूर्तियों के हटाने पर रहा विवाद

मालवा मिल चौराहे पर संत बालीनाथ जी की मूर्ति को लेकर समाजजनों और राजनीतिक दलों के बीच 15 साल से स्थान को लेकर विवाद चल रहा था। 2021 में सरकार से सहमति के बाद प्रतिमा स्थापित हुई।
गीता भवन पर 2016 में ट्रक की टक्कर से आंबेडकर प्रतिमा क्षतिग्रस्त हो गई थी। तब विधायक रमेश मेंदोला ने उसे ठीक करवाया था।
राजबाडा के सामने की सड़क को बगीचे में मर्ज कर दिया गया था। उस समय शंकर लालवानी निगम सभापति थे। बाद में क्षेत्रीय विधायक अश्विन जोशी के विरोध और यातायात बाधित होने के चलते इस रास्ते को फिर से खेल दिया गया था।
लेंटर्न चौराहे पर गोविंदराम सेकसरिया की प्रतिमा को चौराहे पर लगाने को लेकर प्रशासन और छात्रों के बीच विवाद हुआ था। हालांकि बाद में इसे एसजीएसआईटीएस कॉलेज के कॉर्नर पर ही लगा दिया गया।
आसाराम बापू चौराहा जो वर्तमान में आईटी पार्क सर्कल कहलाता है, वहां आसाराम बापू की प्रतिमा लगनी थी। लेकिन 2013 में उनके जेल जाने के बाद समीकरण बदल गए।
पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मणसिंह गौड़ की महू नाके पर लगी प्रतिमा के चेहरे को लेकर असहमति की स्थिति बनी थी। बाद में इसे बदलकर नई प्रतिमा लगाई गई।
ग्वालियर में इन मूर्तियों को हटाने पर मचा था बवाल

ग्वालियर में 8 सितंबर 2021 को चिरवाई नाका पर नगर निगम द्वारा सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाई गई थी। प्रतिमा पर गुर्जर सम्राट लिखने पर बवाल मचा था। इसका असर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश के कई शहरों में देखने को मिला था। अभी भी कोर्ट के आदेश पर मूर्ति ढकी हुई रखी गई है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
शहर में गुर्जर समुदाय और क्षत्रिय समुदाय के बीच में उपद्रव भी हुआ। इतिहासकारों की कमेटी मिहिर भोज की जाति का पता लगाने के लिए बैठाई गई। यह शहर का सबसे चर्चित मामला है। 7 दिन पहले मुरार हुरावली में कारगिल में शहीद नरेन्द्र सिंह राणा की मूर्ति स्थापित की गई है।
फूलबाग पर पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति की स्थापना के समय भी काफी विवाद हुआ था। फूलबाग चौराहा पर पहले इंदिरा गांधी की प्रतिमा स्थापित होनी थी। भाजपा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा लगाना चाहती थी। कोई पीछे नहीं हट रहा था। इसके बाद प्रस्ताव लाया गया कि फूलबाग चौराहे पर किसी की मूर्ति नहीं लगेगी।
इसके बाद इंदिरा गांधी की मूर्ति जनकगंज लेडीज पार्क में लगाई गई। वहीं श्याम प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति फूलबाग के एक कोने पर लगाई गई है। उस पर भी विवाद हुआ। कॉर्नर पर मूर्ति स्थापना के लिए वहां वर्षों से चाय का स्टॉल चला रहे बाथम पान सेंटर को हटाया गया था। जिस पर काफी बवाल मचा था।

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