6 डॉक्टरों की हुई रवानगी, 5 कतार में, 1 अधर में
17 डॉक्टर मिलने का ढिंढोरा पीटने वाले महकमे में डॉक्टरों का टोटा
जिले में डॉक्टरों का स्थानांतरण रोक पाने का अपाहिज हुआ सिस्टम
बिना डॉक्टरों की टीम के बद से बदत्तर हो जाएगी स्वास्थ्य सेवाएं
बैतूल(जेएनएन)। जिले की स्वास्थ्य सुविधा कैसी है? यह किसी से छिपा नहीं है। अपनी विवादित कार्यप्रणाली की वजह से आए दिन मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले स्वास्थ्य महकमे में डॉक्टरों की जिले से रवानगी बदस्तूर जारी है। महज 17 नए डॉक्टरों की पोस्टिंग जिले में होने को लेकर जश्र मनाने वाले महकमे की ईंटें फिर से भरभराकर गिरने की कगार पर पहुंच गई है। यह इसलिए क्योंकि करीब एक दर्जन डॉक्टरों की जिले से रवानगी होने वाली है। इसमें से भी जिले से स्थानांतरित हुए 7 में से 6 की रवानगी जहां हो चुकी है वहीं 5 डॉक्टर और जिले से रवानगी की कतार में लगे हुए हैं। जबकि एक डॉक्टर स्थानांतरित होने के बाद भी अभी भी अधर में है कि उनका भविष्य क्या होगा? क्या उनका स्थानांतरण रूकेगा? या फिर उन्हें भी जिले से विदा होना पड़ेगा। जिले से डॉक्टरों की रवानगी को रोक पाने वाले सिस्टम के अपाहिज हो जाने से एक के बाद एक हो रहे डॉक्टरों के स्थानांतरण से जिले की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमराने की कगार पर पहुंच गई है।
17 में से 16 से उम्मीद लगाना बेमानी
कहने को तो जिले में 17 डॉक्टरों की पोस्टिंग हो चुकी है और इनमें से 16 डॉक्टरों ने अपनी ज्वाईनिंग भी दे दी है। लेकिन यह डॉक्टर बैतूल में अपनी सेवाएं देते रहेंगे इसकी भी कोई ग्यारंटी नहीं है। कई तो लंबा अवकाश लेकर पीजी की तैयारी करने के लिए निकल जाएंगे तो कुछ सांठगांठ कर अपना वेतन निकालने के लिए जुगाड़ लगाते रहेंगे। इसके बाद यदि कुछ डॉक्टर बच भी गए तो उन पर इतना अधिक बोझ डाल दिया जाएगा कि वह स्वयं ही स्वैच्छिक जैसे 5 डॉक्टरों ने अपना स्थानांतरण कराया है। इसी तर्ज पर वह भी कराकर जिले से कूच कर जाएंगे।
दोनों पड़ोसी जिले हैं बेहतरीन उदाहरण
यदि हम डॉक्टरों की पोस्टिंग और ज्वाईनिंग की बात करें तो आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले से सटे दोनों पड़ोसी जिले होशंगाबाद और छिंदवाड़ा में कभी भी डॉक्टरों की कमी की खबरें मीडिया की सुर्खियां नहीं बनती है। जबकि बैतूल में अक्सर देखा गया है जितने डॉक्टरों की ज्वाईनिंग नहीं होती है उससे आधे से अधिक की जिले से रवानगी पहले से तय हो जाती है। अगर इसी तरह से हमारे जिले की राजनैतिक और प्रशासनिक कमजोरी बनी रही तो स्वास्थ्य सेवाओं को गर्त में जाने से कोई नहीं रोक पाएगा और इसका खामियाजा जिले के लाचार, गरीब और बेबस नागरिकों को उठाने मजबूर होना पड़ेगा।
6 डॉक्टर हुए रिलीव, 1 डॉक्टर अधर में
जिले के 5 डॉक्टर अपना स्वैच्छिक स्थानांतरण कराकर रिलीव हो चुके हैं। वहीं 2 वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रजनीश शर्मा और डॉ. डब्ल्यू ए नागले का प्रशासनिक स्तर पर स्थानांतरण जिले से अन्यत्र कर दिया गया। इनमें से डॉ. रजनीश शर्मा को रोक नहीं पाए और उन्होंने राजगढ़ में ज्वाईनिंग दे दी। जबकि डॉ. रजनीश शर्मा ने कोविड की दो लहरों के दौरान उत्कृष्ट कार्य करते हुए सैकड़ों लोगों को उपचार उपलब्ध कराकर उनकी जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं डॉ. डब्ल्यूए नागले का स्थानांतरण निरस्त कराने के लिए उन्हें लालीपॉप दिखाया जा रहा है। जिससे वह अभी भी अधर में लटके हुए हैं कि जहां स्थानांतरण हुआ है वहां पर अपनी ज्वाईनिंग दें या फिर और इंतजार करें?
रवानगी के लिए 5 डॉक्टर कतार में
जिले से चार डॉक्टरों का पीजी में चयन हो जाने से उनकी भी रवानगी लगभग तय मानी जा रही है। जारी सूची में 9 नंबर पर डॉ. शैलेंद्र साहू मूल पदस्थापना घोड़ाडोंगरी पोस्टिंग बीएमओ भैंसदेही, 10 नं. पर डॉ. सुनील पटेरिया मूल पदस्थापना सेहरा पोस्टिंग आठनेर, 39 नं. पर डॉ. अंकिता सीते मेडिकल ऑफिसर जिला अस्पताल बैतूल पोस्टिंग जिला रक्तकोष अधिकारी बैतूल, 41 नं. पर डॉ. भावना कवड़कर जिला अस्पताल पोस्टिंग जिला अस्पताल बैतूल, 165 नं. डॉ. संजय वाडबुदे पोस्टिंग प्रभात पट्टन शामिल है। मध्यप्रदेश में कुल 171 डॉक्टर एमडी,एमएस के लिए प्रवेश परीक्षा में विभागीय कोटे से चयनित हुए हैं। जिनमें से बैतूल के 5 डॉक्टर शामिल हैं।
इनका कहना…
जिले से सात डॉक्टरों का स्थानांतरण होने पर 6 चले गए हैं जबकि एक को रिलीव होना शेष है। 5 डॉक्टरों ने भी पीजी का एंट्रेंस एग्जाम पास कर लिया है।
डॉ.एके तिवारी, सीएमएचओ, बैतूल