श्रीकृष्ण की उद्धव को सीख:समय रहते सही फैसले लें और अपने धन का सही इस्तेमाल करें, वर्ना बाद में पछताना पड़ता है

श्रीकृष्ण की उद्धव को सीख:समय रहते सही फैसले लें और अपने धन का सही इस्तेमाल करें, वर्ना बाद में पछताना पड़ता है

जीवन में सफलता केवल संसाधनों से नहीं, बल्कि उनके उचित उपयोग और समय पर सही निर्णय लेने की समझ से मिलती है। श्रीकृष्ण ने अपने मित्र उद्धव को एक कथा सुनाकर सुख-शांति और सफलता का रहस्य समझाया था। कुछ कार्य ऐसे हैं, जिन्हें समय पर कर लेना ही बुद्धिमानी है। ये कहानी उज्जैन के एक ब्राह्मण की है, जो एक गलती की वजह से हमेशा दुखी रहा।

कथा के मुताबिक, उज्जैन का वह ब्राह्मण बेहद धनवान था। उसने मेहनत से खेती और व्यापार कर अपार संपत्ति अर्जित की, लेकिन जीवन जीने की कला उसे नहीं आई। वह धन के प्रति इतना आसक्त था कि न अपने लिए कुछ खर्च करता, न अपने परिवार और मित्रों के लिए। उसकी आदतें- जैसे कंजूसी, वासना में लिप्तता, गुस्सा और असंवेदनशीलता, उसे अपनों से दूर करती गईं। वह अकेलेपन की ओर बढ़ता गया, लेकिन उसे इसका आभास तक नहीं हुआ।

धन को संजोकर रखने की उसकी कोशिश अंततः विफल रही। धीरे-धीरे उसकी संपत्ति नष्ट होने लगी। कुछ संपत्ति परिवार वालों ने हड़प ली, कुछ चोरी चली गई, कुछ व्यापार में घाटे में डूब गई और बाकी शासकों ने छीन ली। जब तक उसके पास धन था, सब उसके आसपास थे; लेकिन जब सब कुछ चला गया तो वह अकेला और असहाय रह गया।

एक दिन जब वह दर-दर की ठोकरें खा रहा था, तब किसी ने उससे पूछा कि अब कैसा लग रहा है? ब्राह्मण का उत्तर दिया कि जब मेरे पास धन था, तब मैंने उसका सही उपयोग नहीं किया। आज सब कुछ खोकर पछता रहा हूं।

श्रीकृष्ण ने उद्धव को ये कथा सुनाते हुए स्पष्ट किया कि जीवन में कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जिन्हें तत्काल कर लेना चाहिए, जैसे शिक्षा अर्जन, स्वास्थ्य का ध्यान और धन का सदुपयोग। इन कार्यों में देरी करने से अवसर चूक जाते हैं और फिर केवल पछतावा ही शेष रह जाता है।

इस कथा से हम चार बातें सीख सकते हैं

1. धन का सदुपयोग करें: धन कमाने के साथ-साथ उसका विवेकपूर्ण उपयोग करना भी आवश्यक है। जरूरतमंदों की मदद, परिवार का सहयोग और आत्मविकास में निवेश ही धन को सार्थक बनाते हैं।

2. स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें: अपने शरीर और मन का ध्यान रखना सबसे बड़ी पूंजी है। इसे नजरअंदाज करने से बाद में बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।

3. शिक्षा को कभी टाले नहीं: ज्ञान अर्जन एक सतत प्रक्रिया है, और जितना जल्दी इसे शुरू किया जाए, उतना बेहतर होता है।

4. रिश्तों को समय दें: रिश्ते भावनाओं से बनते हैं और इन्हें भी समय, संवाद और सहयोग की आवश्यकता होती है।

जीवन प्रबंधन का मूलमंत्र यह है कि सही समय पर सही निर्णय लें। जो लोग समय की कद्र करते हैं, वह जीवन में आगे बढ़ते हैं। श्रीकृष्ण की ये कथा आज के समय में भी प्रासंगिक है। जीवन को संतुलित, सार्थक और सुखद बनाना है तो आज ही निर्णय लें। स्वस्थ रहें, सीखते रहें और जीने की कला सीखें।

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