सुग्रीव राम-लक्ष्मण को पहली बार देखकर डर गए थे:हनुमान जी ने बुद्धिमानी से दूर किया सुग्रीव का डर और श्रीराम से कराई मित्रता

सुग्रीव राम-लक्ष्मण को पहली बार देखकर डर गए थे:हनुमान जी ने बुद्धिमानी से दूर किया सुग्रीव का डर और श्रीराम से कराई मित्रता

रामायण में पंचवटी से देवी सीता का हरण हो गया था। राम और लक्ष्मण सीता को खोजते हुए किष्किंधा की ओर आगे बढ़ रहे थे। उस समय किष्किंधा के क्षेत्र में एक ऊंची पहाड़ी पर सुग्रीव बालि से डरकर छिपे हुए थे। एक दिन सुग्रीव ने देखा कि दो राजकुमार वनवासी के वेश में मेरी ओर आ रहे हैं। सुग्रीव ने सोचा कि बालि ने इन दोनों को मुझे मारने के लिए भेजा। ऐसा सोचकर सुग्रीव बहुत डर गए।

सुग्रीव ने हनुमान से कहा कि आप जाकर उन दोनों राजकुमारों को देखिए। अगर वे शत्रु हैं तो वहीं से इशारा कर देना, हम यहां से कहीं और भाग जाएंगे। अगर वे मित्र हैं तो वहीं से इशारा कर देना हम यहीं रुक जाएंगे।

हनुमान ने सुग्रीव का डर दूर करने के लिए तुरंत दोनों राजकुमार के पास पहुंचे। हनुमान ने अपना वेश बदल लिया था, ताकि वे दोनों राजकुमारों की परख कर सकें।

जब हनुमान को मालूम हुआ कि वे राम-लक्ष्मण हैं तो उन्हें अपना परिचय दिया। तब राम जी ने हनुमान को सीता हरण का पूरा प्रसंग बताया। राम जी की बातें सुनने के बाद हनुमान ने कहा कि आप मेरे राजा सुग्रीव के पास चलिए और उनसे मित्रता कर लीजिए, वे देवी सीता की खोज में आपकी मदद करेंगे।

हनुमान जी ने आगे कहा कि आप मेरे कंधे पर बैठ जाइए, मैं आपको सुग्रीव के पास ले चलता हूं। लक्ष्मण जी को संकोच हो रहा था कि किसी के कंधे पर चढ़कर चलना ठीक नहीं है, लेकिन राम ने कहा कि लक्ष्मण, हम अयोध्या से सुमंत के रथ में आए, फिर केवट की नाव में बैठे, उसके बाद पैदल चले। अब ये यात्रा का एक नया ढंग है। मैं बैठ रहा हूं, तुम भी बैठ जाओ।

हनुमान जी सुग्रीव को संकेत देना चाहते थे कि ये दोनों शत्रु नहीं हैं, बल्कि हमारे मित्र हैं। सुग्रीव को संकेत देने के लिए हनुमान ने राम-लक्ष्मण को कंधे बैठाया, ताकि दूर से सुग्रीव ये देखकर समझ जाए कि ये दोनों मित्र हैं। तभी हनुमान इन्हें कंधे पर बैठाकर ला रहे हैं। ये देखकर सुग्रीव और जामवंत आदि वानर निश्चिंत हो गए।

हनुमान जी की सीख

हनुमान जी ने हमें सीख दी है कि कोई भी काम करते समय बुद्धिमान से योजना बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। हनुमान जी राम-लक्ष्मण की परख करने के लिए योजना बनाई, वेश बदला और फिर सुग्रीव को संकेत देने के लिए राम-लक्ष्मण को कंधे पर बैठाया। अगर हनुमान जी ने समय पर सुग्रीव को ये संकेत नहीं दिया होता कि ये हमारे मित्र हैं तो सुग्रीव और ज्यादा डरते। हनुमान जी की बुद्धिमानी से हमें सीखना चाहिए कि हर काम बुद्धिमानी से और योजना बनाकर करना चाहिए, सफलता तभी मिल सकती है।

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