बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकारा
प्रयागराज। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर एक बार फिर यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा, वह प्रयागराज में गिराए गए मकानों को सरकार के खर्च पर दोबारा बनवाने का आदेश दे सकता है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक- प्रयागराज के वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो महिलाओं और एक अन्य व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
इन सभी के घर अगल-बगल में एक ही प्लॉट पर थे। मार्च 2021 में नोटिस मिलने के एक दिन बाद ही उनके घर गिरा दिए गए थे। न नोटिस देने का टाइम दिया गया, न ही कानूनी बचाव का मौका मिला। पीड़ितों का कहना है कि राज्य सरकार ने गलती से उनकी जमीन को गैंगस्टर अतीक अहमद की संपत्ति मान लिया था।
इस तरह तोड़फोड़ चौंकाने वाली
5 मार्च को इस मामले की सुनवाई हुई, जिसकी रिपोर्ट आज, गुरुवार को सामने आई। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा, इस तरह की तोड़फोड़ चौंकाने वाली है और गलत संकेत देती है। इसमें सुधार की आवश्यकता है। राज्य सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी पेश हुए। उन्होंने कहा, उनके पास याचिकाकर्ताओं की संपत्ति को गिराने के लिए नोटिस देने के कारण मौजूद हैं।
इस पर जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत, किसी भी व्यक्ति को कानून में तय प्रक्रिया के मुताबिक ही उसके जीवन और व्यक्तिगत आजादी से वंचित किया जा सकता है। उन्होंने कहा-
आप घरों को ध्वस्त करने की इतनी कठोर कार्रवाई कर रहे हैं और उनमें से एक वकील हैं और दूसरे प्रोफेसर हैं। हम जानते हैं कि इस तरह की बहुत ही ज्यादा टेक्निकल दलीलों से कैसे निपटना है? आखिरकार अनुच्छेद 21 और ‘आश्रय का अधिकार’ जैसी कोई चीज है।
अतीक अहमद की जमीन समझ ली थी
पीड़ितों की तरफ से वकील अभिमन्यु भंडारी दलील दे रहे थे। उन्होंने कहा, अतीक अहमद नाम का एक गैंगस्टर था, जिसकी 2023 में हत्या कर दी गई थी। उन्होंने हमारी (पीड़ितों की) जमीन को उसकी जमीन समझ लिया। उन्हें (राज्य को) अपनी गलती स्वीकार कर लेनी चाहिए।
अटॉर्नी जनरल ने कहा, याचिकाकर्ताओं को नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया गया था। लेकिन जस्टिस ओका इससे सहमत नहीं हुए। उन्होंने कहा, नोटिस इस तरह क्यों चिपकाया गया? कूरियर से क्यों नहीं भेजा गया? कोई भी इस तरह नोटिस देगा और तोड़फोड़ करेगा। ये तोड़फोड़ का एक ऐसा मामला है, जिसमें अत्याचार शामिल है। आप कहते हैं कि डाक से भेजने की कोई प्रक्रिया नहीं है। यहां नोटिस डाक से भेजा गया है।
अटॉर्नी जनरल बोले- मैं तोड़फोड़ का बचाव नहीं कर रहा
अटॉर्नी जनरल ने कहा, नोटिस देने के समय वो व्यक्ति वहां था या नहीं, इस पर विवाद है। मैं तोड़फोड़ का बचाव नहीं कर रहा हूं, लेकिन हाईकोर्ट को इस पर विचार करने देना चाहिए।
वेंकटरमणी ने कहा, इस मामले को नए सिरे से विचार करने के लिए हाईकोर्ट भेजना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं हुआ। जस्टिस ने कहा, दोबारा हाई कोर्ट नहीं जाना चाहिए। तब मामले में और देरी होगी।