पूर्णिमा की रात चंद्र को दिया जाता है अर्घ्य:14 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा
मार्गशीर्ष यानी अगहन मास की पूर्णिमा 14 और 15 दिसंबर को रहेगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर की दोपहर करीब 4 बजे होगी और ये तिथि 15 दिसंबर की दोपहर करीब 2.30 बजे तक रहेगी। इस पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाते हैं। पूर्णिमा की रात चंद्र को अर्घ्य देने की और भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की परंपरा है। चंद्र को अर्घ्य 14 दिसंबर की रात चढ़ाएं, क्योंकि इसी रात मे अगहन पूर्णिमा रहेगी। अगले दिन यानी 15 दिसंबर की दोपहर पूर्णिमा खत्म हो जाएगी। जानिए चंद्र को अर्घ्य देने की विधि और मंत्र…
ऐसे चढ़ाएं अर्घ्य – चांदी के लोटे में दूध भरें, दूध में चावल डालें। चंद्र देव की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं। जमीन पर बड़ी थाली रखें और इसके बाद ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र बोलते हुए दोनों हाथों को ऊंचा करके लोटे से चंद्र को अर्घ्य चढ़ाएं। लोटे से दूध की धारा थाली में गिराएं। अर्घ्य देने के बाद ये दूध दान कर सकते हैं।
अगर दूध न हो तो पानी से चंद्र को अर्घ्य दें। चांदी का लोटा न हो तो मिट्टी के कलश से अर्घ्य दे सकते हैं।
भगवान विष्णु का स्वरूप हैं सत्यनारायण
पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की परंपरा है। सत्यनारायण विष्णु जी का ही एक स्वरूप है। इनकी कथा का संदेश ये है कि हमें अपने जीवन में सत्य को अपनाना चाहिए, किसी स्थिति में हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए। जो लोग सत्य व्रत का पालन करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
अगहन पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम
पूर्णिमा पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। स्नान के बाद पीपल की पूजा करें। पीपल को जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।
इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। महालक्ष्मी और विष्णु जी का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। दूध में केसर मिलाएं और इसके बाद इस दूध को शंख में डालकर अभिषेक करें। महालक्ष्मी के मंदिर जाएं और दर्शन-पूजन करें।
अपने घर के मंदिर में श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणवर्ती शंख की पूजा करें। हनुमानजी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और श्रीराम नाम का जप 108 बार करें।