खाना न मिलने से श्रीकृष्ण के मित्र हो गए निराश

खाना न मिलने से श्रीकृष्ण के मित्र हो गए निराश

बालक कृष्ण से जुड़ी प्रेरक कथा है। द्वापर युग में विष्णु जी ने श्रीकृष्ण अवतार लिया। गोकुल में बाल कृष्ण लीलाएं कर रहे थे। श्रीकृष्ण का स्वभाव था कि वे किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानते थे। लगातार कोशिश करते रहना, उनका स्वभाव था।
एक दिन बालक कृष्ण और बलराम ग्वालों के साथ जंगल में खेल रहे थे। खेलते-खेलते सभी बच्चे घने वन में चले गए। लगातार खेलते रहने से छोटे-छोटे ग्वाले थक गए, उन्हें भूख-प्यास लगने लगी।

बालकृष्ण अपने साथी ग्वालों की हालत देखकर समझ गए कि सभी थक गए हैं और इन्हें भूख भी लगी है। कृष्ण ने साथी ग्वालों से कहा कि कुछ ही दूरी पर कुछ ब्राह्मण यज्ञ कर रहे हैं, वहां कई लोग हैं तो उन लोगों ने भोजन भी बनाया होगा। तुम सब वहां जाओ और अपनी परेशानी बताकर खाना मांग लेना।

सखा कृष्ण की बात मानकर सभी ग्वाले उस यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। सभी ग्वालों ने वहां के लोगों को अपनी परेशानी बताई और उनसे खाना मांगा, लेकिन लोगों ने उन्हें मना कर दिया गया। खाना न मिलने से ग्वाले निराश हो गए और कृष्ण के पास लौट आए।

कृष्ण ने ग्वालों से निराशा की वजह पूछी तो ग्वालों ने पूरी बात बता दी। कृष्ण ने फिर कहा कि तुम एक बार जाओ, फिर से वहां खाना मांगना।

ग्वाले बोले कि वहां जाने का कोई फायदा नहीं है। अगर उन्होंने एक बार में खाना नहीं दिया है तो वे दूसरी बार में भी खाना नहीं देंगे।

कृष्ण ने ग्वालों को समझाया कि कभी-कभी पहले प्रयास में असफलता मिल जाती है तो हमें निराश नहीं होना चाहिए। असफलता मिल जाए तो हमें अपने प्रयासों नहीं रोकने चाहिए। हमें सफल होने तक प्रयास करते रहना चाहिए। बार-बार प्रयत्न करना ही सफल व्यक्ति का मुख्य गुण है। असफलता मिल रही है, तब भी हमें कोशिश नहीं छोड़नी चाहिए। सफलता कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में हमारी प्रतीक्षा जरूर कर रही होगी। तुम सभी एक बार फिर वहां जाओ, लेकिन इस बार किसी और तरीके से खाना मांगना। इस बार मेरा और बलराम का नाम लेकर खाना मांगना, तुम्हें खाना जरूर मिलेगा।

कृष्ण की बात मानकर एक बार फिर सभी ग्वाले यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। इस बार सभी ग्वालों ने कृष्ण और बलराम का नाम लेकर खाना मांगा तो ब्राह्मणों में सभी बच्चों को खाना दे दिया। खाना लेकर सभी ग्वाले श्रीकृष्ण के पास लौट आए।

श्रीकृष्ण की सीख

श्रीकृष्ण ने सभी को सीख दी कि एक बार प्रयास करके थकना नहीं चाहिए, असफलता से निराश नहीं होना चाहिए। हमें सफल होने तक कोशिश करनी चाहिए और हर बार अपने तरीकों में बदलाव करना चाहिए।

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