बहुओं के लिए सास की लोटा दौड़, बहुओं को यही समझाने के लिए दौड़ीं 18 सास
भोपाल। घर में ‘इज्जत घर’ (टॉयलेट) बनने के बाद सास ने तो खुले में शौच करना छोड़ दिया, लेकिन कई घरों में बहुएं नहीं मान रही हैं। उन्हें समझाने के लिए 18 सास ने दौड़ लगाई ताकि बहुएं समेत बाकी लोग समझ सकें कि खुले में शौच करने से इज्जत को तो खतरा है ही, बीमारियां भी होती हैं। 50 मीटर की रेस भले ही सास के लिए थी, लेकिन सबक बहुओं को मिला। यह दौड़ मंगलवार को भोपाल से 25 किमी दूर फंदा कला गांव में हुई।
दौड़ने वाली सभी 50 से 60 साल की बुजुर्ग सास थीं, और दर्शक बनी बहुएं। 50 मीटर दौड़ने के बाद सास ने विनिंग प्वॉइंट पर पानी से भरा लोटा फेंका और संदेश दिया कि बहुएं जिंदगीभर खुले में शौच न जाएं। वे ‘इज्जत घर’ में ही शौच करें। सास बोलीं कि हम तो जिंदगीभर शौच के लिए जंगल और खेतों में भागते रहे। बहुएं ऐसा न करें। खुद तो टॉयलेट में शौच करें और परिजनों को भी इसके लिए प्रेरित करें। बहुओं ने भी वादा किया कि वो हमेशा के लिए लोटा रख ‘इज्जत घर’ में ही शौच करेंगी।
भोपाल में सभी 187 ग्राम पंचायतें ODF यानी खुले में शौच से मुक्त हो चुकी हैं। बावजूद कई गांवों में कुछ महिलाएं खुले में शौच करने जा रही हैं। फंदा गांव में भी ऐसी स्थिति है।
जीतने वाली सास को बहू ने ही पहनाई फूलों की माला
शाम 5 बजे दौड़ शुरू हुई। इसमें फर्स्ट राधा प्रजापत, सेकेंड मंजू प्रजाति और थर्ड अर्पिता प्रजापति रहीं। इन्हें उनकी बहुओं ने ही फूल माला और मेडल पहनाए। जिला पंचायत सीईओ विकास मिश्रा ने बताया कि, इसके पीछे संदेश बस इतना है कि चाहे महिला-पुरुष हो या बच्चे। सभी टॉयलेट का उपयोग करें। गांव के बुजुर्ग राम सिंह ने बताया, गांव में जब से टॉयलेट बने हैं, उनका ही उपयोग कर रहे हैं। इस तरह के आयोजन सबको प्रेरित करते हैं। सास रेशमबाई ने बताया कि खुले में शौच करने जाने में शर्मिंदगी होती है। दौड़ लगाकर बहू से वादा लिया कि कभी भी खुले में शौच के लिए न जाएं। दूसरों को भी प्रेरित करें।
इवेंट के जरिए सास-बहू में झिझक दूर होगी
जिला पंचायत सीईओ विकास मिश्रा ने बताया, कोरोना के दौरान गांवों में सर्वे कराया गया था। इसमें यह देखने में आया कि घर में बहू बोल रही है, लेकिन सास चुप है। दोनों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम कम दिखाई दिया। कुछ मामलों में सास बोलती हैं तो बहू चुप रहती है, लेकिन मां-बेटी के मामले में ऐसा नहीं है। दोनों में बराबर प्रेम दिखा। सास-बहू के बीच की झिझक दूर करने और दोनों में संवाद कायम रखने के लिए इस दौड़ को कराने का आइडिया आया। दूसरी ओर कई महिलाएं खुले में शौच करने जाती हैं। इसलिए सास होने के नाते उन्होंने बहुओं को समझाइश दी कि खुले में शौच न जाएं।