6 को विवाह पंचमी, 11 को गीता जयंती और 15 दिसंबर को मनेगी धनु संक्रांति
तीज-त्योहारों के नजरिये से साल का आखिरी महीना खास रहेगा। व्रत-पर्व के लिए दिसंबर में 10 तिथियां खास रहेंगी। महीने के पहले ही दिन अगहन महीने का शुक्ल पक्ष शुरू हो जाएगा।
दिसंबर में अगहन महीना खत्म होगा और पौष मास शुरू हो जाएगा। महीने के बीच में धनु संक्रांति होगी और खरमास भी रहेगा। इस दौरान मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं।
जानिए दिसंबर में पड़ने वाले प्रमुख व्रत त्योहार और उनका महत्व…
अगहन अमावस्या (1 दिसंबर, रविवार)
ये मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष का आखिरी दिन होगा। इस दिन सूर्योदय के वक्त अमावस्या होने से स्नान-दान का शुभ पर्व रहेगा। अगहन अमावस्या को तीर्थ और पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद ऊनी कपड़े और अन्न का दान किया जाता है। मान्यता है ऐसा करने से अक्षय पुण्य मिलता है।
विवाह पंचमी (6 दिसंबर, शुक्रवार)
इस दिन अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पांचवी तिथि होने से विवाह पंचमी पर्व मनेगा। पुराणों के मुताबिक इस तिथि पर श्रीराम और सीता जी का विवाह हुआ था, इसलिए हर साल इस दिन को भगवान राम और मां सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि पर भगवान राम-सीता और हनुमान जी की पूजा की जाती है। मंदिरों में राम चरित मानस का पाठ किया जाता है।
भानु सप्तमी (8 और 22 दिसंबर)
रविवार और सप्तमी तिथि, दोनों के स्वामी सूर्य हैं। इस तिथि वार का संयोग जब भी बनता है उसे दिन सूर्य सप्तमी पर्व मनाते हैं। इस संयोग पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर प्रणाम किया जाता है। इस तरह सूर्य पूजा करने से उम्र बढ़ने की मान्यता है। साथ ही मनोकामना पूरी करने की इच्छा से दिनभर व्रत भी किया जाता है। इस व्रत में नमक नहीं खाया जाता।
गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी (11 दिसंबर, बुधवार)
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। उपवास रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, एक ही दिन गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी होने से इस तिथि की तुलना मणि चिंतामणि से की जाती है।
दत्तात्रेय जयंती (14 दिसंबर, शनिवार)
ये दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा का पर्व है। महायोगीश्वर दत्तात्रेय को ब्रह्माजी, भगवान विष्णु और भगवान शिव का अवतार माने जाते हैं और इनका अवतरण मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था और उन्होंने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी। भगवान दत्तात्रेय के नाम पर दत्त संप्रदाय का उदय हुआ था। दक्षिण भारत में भगवान दत्तात्रेय के कई मंदिर हैं।
धनु संक्रांति और अगहन पूर्णिमा (15 दिसंबर, रविवार)
इस दिन अगहन महीने का आखिरी दिन होगा। पूर्णिमा के साथ इस दिन सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा, इसलिए धनु संक्रांति पर्व भी मनाया जाएगा। इस पर्व पर नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है। सूर्य के धनु राशि में आने के कारण इस दिन खरमास शुरू हो जाएगा। जो 14 जनवरी तक रहेगा। इस दौरान शादियां और बाकी मांगलिक काम नहीं होंगे।
सफला एकादशी (26 दिसंबर, गुरुवार)
इस दिन साल की आखिरी एकादशी रहेगी। इस तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके व्रत का संकल्प किया जाता है और विधि विधान के साथ विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, सफला एकादशी का व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या (30 दिसंबर, सोमवार)
सोमवार को अमावस्या होने से सोमवती अमावस्या पर्व मनेगा। ये स्नान-दान का महापर्व कहलाता है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितर भी संतुष्ट हो जाते हैं।