30 नवंबर और 1 दिसंबर को अगहन अमावस्या
मार्गशीर्ष (अगहन) मास की अमावस्या दो दिन यानी 30 नवंबर और 1 दिसंबर को रहेगी। अमावस्या शुरुआत 30 नवंबर की सुबह करीब 9.30 बजे होगी, ये तिथि 1 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे तक रहेगी। इस तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य करने की परंपरा है।
अमावस्या को भी एक पर्व माना जाता है। हिन्दी पंचांग के एक वर्ष में कुल 12 अमावस्या आती हैं और जिस वर्ष अधिक मास रहता है, तब साल में कुल 13 अमावस्या हो जाती हैं।
हिन्दी पंचांग के एक माह में दो पक्ष होते हैं। एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। अमावस्या पर कृष्ण पक्ष और पूर्णिमा पर शुक्ल पक्ष खत्म होता है।
अमावस्या पर गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, शिप्रा जैसी सभी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इसी परंपरा की वजह से लाखों श्रद्धालु इन नदियों में स्नान के लिए पहुंचते हैं। माना जाता है कि अमावस्या पर किए गए नदी स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है और जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों का फल खत्म होता है। नदी में स्नान करने के लिए सुबह-सुबह का समय सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि सूर्योदय के समय स्नान करने के बाद नदी के जल से ही सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
इस अमावस्या पर पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण और धूप-ध्यान भी करना चाहिए। अगर नदी किनारे श्राद्ध कर्म नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही धूप-ध्यान कर सकते हैं। धूप देने के लिए जलते हुए कंडे पर गुड़-घी अर्पित किया जाता है। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल चढ़ाया जाता है।
इस तिथि पर ही दान करने का महत्व काफी अधिक है। जरूरतमंद लोगों को दान में अनाज, धन, कपड़े, खाना देना चाहिए। अभी ठंड का समय है तो ऊनी वस्त्रों का और कंबल का दान भी कर सकते हैं।
अमावस्या पर शिव जी की भी विशेष पूजा करने की परंपरा है। शिवलिंग अभिषेक करें। विधिवत अभिषेक नहीं कर पा रहे हैं तो तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। इसके बाद बिल्व पत्र, धतूरा, हार-फूल और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। चंदन से शिवलिंग पर लेप करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। दीपक जलाकर आरती करें।
अमावस्य पर सूर्य देव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। सुबह सूर्य को जल चढ़ाएं और फिर सूर्य देव की प्रतिमा की पूजा करें। सूर्य की चीजें जैसे गुड़, तांबा, लाल वस्त्र का दान करें।
किसी मंदिर में पूजन सामग्री दान करनी चाहिए। गौशाला में गायों की देखभाल के लिए घास और धन का दान करना चाहिए।
शनिवार और अमावस्या के योग में हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
अमावस्या तिथि पर देवी लक्ष्मी की विष्णु जी के साथ विशेष पूजा करनी चाहिए। लक्ष्मी-विष्णु का अभिषेक करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरें और भगवान की प्रतिमा पर चढ़ाएं। पूजन सामग्री चढ़ाएं, तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
अमावस्या पर शनिदेव का तेल से अभिषेक करें। जिन लोगों की कुंडली में शनि से जुड़े दोष हैं, उन्हें सरसों का तेल, काले तिल का दान करना चाहिए।