पीजी सीट छोड़ने वाले स्टूडेंट को कॉलेज ने लौटाए दस्तावेज
इंदौर। इंदौर में महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (एमजीएम) में पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) कर रहे एक स्टूडेंट द्वारा रैगिंग से परेशान होकर सीट छोड़ने के बाद कॉलेज द्वारा ओरिजिनल दस्तावेज नहीं लौटाने के मामले में आखिरी स्टूडेंट को न्याय मिला।
कॉलेज के डीन ने उनके सारे ओरिजिनल दस्तावेजों के साथ एनओसी भी सौंप दी। इस मामले में हाई कोर्ट ने एमजीएम कॉलेज के डीन को 18 नवंबर तक दस्तावेज लौटाने का आदेश दिया था।
स्टूडेंट अभिषेक मसीह के एडवोकेट आदित्य सांघी ने बताया कि सोमवार को डीन डॉ. संजय दीक्षित ने स्टूडेंट को 10वीं, 12वीं, एमबीबीएस, जाति, इंटरशिप, प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन सहित सभी दस्तावेज सौंप दिए। साथ ही एनओसी भी दी गई।
पिछले दिनों यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बेंच ने निर्देश दिए थे कि 18 नवंबर तक स्टूडेंट को ओरिजिनल मार्कशीट्स लौटाएं। इसके साथ ही एनओसी भी दें और कोर्ट को सूचित करें।
यह है मामला
मामला इंदौर निवासी स्टूडेंट अभिषेक मसीह का है। उन्होंने अपने एडवोकेट आदित्य सांघी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया था कि अब तक 7 स्टूडेंट्स ने 30 लाख रुपए की डिमांड किए जाने पर आत्महत्या कर ली है। अभिषेक के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। ओरिजिनल मार्कशीट्स न होने से आगे की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
संसद के प्रश्नकाल में हुई थी बहस
अभिषेक के एडवोकेट आदित्य सांघी ने कहा, “यह बहुत ही गंभीर मामला है। इस समस्या पर जनवरी 2024 में लोकसभा में बहस भी हुई थी। कहा गया था कि मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में स्टूडेंट्स लगातार सुसाइड कर रहे हैं। पीजी स्टूडेंट्स से 30 लाख रुपए का बॉन्ड सरकार द्वारा एडमिशन के दौरान ले लिया गया है।
जब तक वे 30 लाख रुपए जमा नहीं करेंगे, किसी भी कारण से सीट छोड़ने की परमिशन नहीं मिलेगी। अगर सीट छोड़ते हैं तो स्टूडेंट की ओरिजिनल मार्कशीट्स कॉलेज वापस नहीं करेंगे। एनओसी सर्टिफिकेट भी नहीं देंगे। इस कारण 7 स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं। कितने और स्टूडेंट्स ने सुसाइड का प्रयास किया है।
एडवोकेट आदित्य सांघी ने बताया कि मुद्दे पर पार्लियामेंट में पूरे प्रश्नकाल में बहस की गई थी। इसके बाद पार्लियामेंट ने नेशनल मेडिकल कमीशन (पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया थी) को निर्देश दिए थे कि मध्यप्रदेश सरकार को ये नियम हटाने के लिए कहा जाए। मध्यप्रदेश सरकार ने ऐसा नहीं किया। अभिषेक को भी इसी कारण कॉलेज प्रबंधन ओरिजिनल दस्तावेज नहीं लौटाकर 30 लाख रुपए की मांग कर रहा है, इसलिए याचिका लगानी पड़ी।
रैगिंग से स्टूडेंट्स डिप्रेशन में चले जाते हैं
एडवोकेट सांघी ने बताया कि 30 लाख रुपए बॉन्ड की शर्त मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के लिए बहुत ही गंभीर विषय है। पीड़ित स्टूडेंट अनुसूचित जनजाति (ST) कैटेगरी का है। उसके पिता की आय मध्यम वर्ग से भी निचले स्तर की है। वे 30 लाख रुपए का इंतजाम करने में असमर्थ हैं।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रैगिंग से अभिषेक का शरीर तो टूटा ही, दिमाग भी टूट गया। ऐसे हालात में स्टूडेंट डिप्रेशन में चले जाते हैं और सुसाइड का सोचने लगते हैं।
ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के बिना कैसे करें पढ़ाई
एडवोकेट सांघी ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि परिस्थितियों को देखते हुए इस स्टूडेंट को उसके ओरिजिनल दस्तावेज तुरंत दिलवाए जाएं ताकि वह आगे की पढ़ाई जारी रख सके। वह बिना दस्तावेजों के कहीं भी एडमिशन नहीं ले पा रहा है। कॉलेज से तुरंत एनओसी भी दिलवाई जाए।