भाई दूज आज:भाई की लंबी उम्र, सौभाग्य की कामना से बहनें करती हैं यमराज और चित्रगुप्त की पूजा
आज (3 नवंबर) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया यानी भाई दूज है। आज दीपोत्सव का अंतिम दिन है। माना जाता है कि जो भाई इस पर्व पर अपनी बहन के घर खाना खाता है, उसे लंबी उम्र, सौभाग्य और अच्छी सेहत का वर मिलता है। इस दिन बहनें यमराज और चित्रगुप्त की पूजा करती हैं, भाई के अच्छे जीवन की कामना करती हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, भाई दूज की रात यमराज और चित्रगुप्त के नाम पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए। इस पर्व की कथा यमराज और यमुना से जुड़ी है।
ये है यमराज और यमुना की कथा
यमराज-यमुना सूर्य देव और संज्ञा की संतानें हैं। शनि देव सूर्य और छाया की संतान हैं। यमुना अपने सगे यमराज से बहुत स्नेह रखती हैं। जब यमराज ने अपनी अलग यमपुरी बसाई तो वे अपने काम में बहुत व्यस्त हो गए थे। इस वजह से वे बहन यमुना से मिलने नहीं आ पाते थे।
यमुना ने कई बार यमराज से कहा कि आप मेरे घर आइए, लेकिन लंबे समय तक यमराज यमुना के घर नहीं जा सके। इसके बाद एक दिन यमुना ने यमराज से वचन ले लिया कि आपको मेरे घर खाना खाने आना ही होगा।
जिस दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे, उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया थी। इस तिथि पर यमुना ने यमराज को अपने घर भोजन कराया था।
यमराज यमुना के आतिथ्य से बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा। तब यमुना ने यमराज से वर मांगा था कि अब से हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया पर आप मेरे घर आएंगे और इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर खाना खाएगा, उसे लंबी उम्र, अच्छा स्वास्थ्य और सौभाग्य का वर मिलेगा। यमराज ने यमुना के ये बातें मान लीं। तभी से भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है।
भाई दूज पर यमुना नदी में स्नान करने की परंपरा
भाई दूज पर खासतौर पर मथुरा में यमुना नदी में भाई-बहन स्नान करते आते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन को सौभाग्य और सुख-समृद्धि मिलती है। भाई-बहन आपसी स्नेह बना रहता है।
बहन भाई को तिलक लगाती हैं और भाई की लंबी उम्र, सौभाग्य की कामना यमराज और यमुना से करती हैं। पूजा में बहन प्रार्थना करती है कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य और अश्वत्थामा, इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वर दें।
यमुना नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल और यमुना का जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय पवित्र नदियों का और तीर्थों का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से भी पवित्र नदी में स्नान करने का पुण्य मिल सकता है।