अयोध्या में 4 महीने में बनेगा राम मंदिर का शिखर
अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर के शिखर का निर्माण गुरुवार (3 अक्टूबर) से शुरू हो गया। यह 120 दिन (4 महीने) में बनकर तैयार होगा। इसके बाद मंदिर की कुल ऊंचाई 161 फीट हो जाएगी। शिखर में सबसे ऊपर धर्म ध्वजा होगी। इसकी ऊंचाई 44 फीट होगी।
शिखर निर्माण का काम शुरू करने से पहले स्थल पर पूजा-अर्चना की गई। शिखर पर लगने वाले मुख्य पत्थर की पूजा की गई।
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया, ‘कंस्ट्रक्शन अपनी रफ्तार से चल रहा है। जो डेडलाइन तय की है, उसमें काम पूरा होगा।’ इस साल 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ था। मोदी ने दोपहर 12:30 बजे भगवान राम की पूजा-अर्चना की थी। 22 जनवरी से अब तक 2.06 करोड़ भक्त दर्शन कर चुके हैं।
नागर शैली के मंदिर का शिखर सोमपुरा आर्किटेक्ट्स ने डिजाइन किया
नागर शैली में बन रहे मंदिर का शिखर भी उसी शैली का होगा। शिखर का डिजाइन सोमपुरा आर्किटेक्ट्स ने तैयार किया है। डिजाइन को ट्रस्ट ने पहले ही फाइनल कर दिया था। पूरे मंदिर की (शिखर तक) ऊंचाई 161 फीट है। शिखर के निर्माण में कम से कम 120 दिन का समय लगेगा।
शिखर पर धर्म ध्वजा भी होगी। मंदिर में शिखर बनाना सबसे मुश्किल माना जाता है। इसीलिए इसका निर्माण शुरू होते समय सभी एजेंसियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। राम मंदिर के निर्माण की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए शिखर का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए इसकी मजबूती और खूबसूरती दोनों का ध्यान रखा जाएगा।
7 ऋषि-मुनियों के मंदिर 4 महीने में बनेंगे
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया, ‘मैंने राम मंदिर परिसर में बन रहे सप्त मंदिर को देखा। ये मंदिर 7 ऋषि- मुनियों वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज के नाम पर हैं। यहां पर सभी की मूर्तियां लगेंगी। इसका निर्माण तेजी से किया जा रहा है।’
इसके अलावा मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न समेत 24 देवताओं की मूर्तियों का निर्माण भी पूरा हो गया है। इन्हें जल्द स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया, राम मंदिर के निर्माण में तेजी लाने के लिए तीन दिन की समीक्षा बैठक हो रही है।
1500 वर्कर शिखर बनाने के काम में लगे
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक, दिसंबर-2024 तक मंदिर के सभी काम पूरे करने का टारगेट है। मंदिर बना रही कंपनी L&T ने योजना तैयार की है। इसके तहत बड़ी संख्या में वर्करों को लगाकर दिन-रात काम कराया जाएगा। शिखर बनाने में इस समय करीब 1500 वर्कर लगे हैं। ये राजस्थान, गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश के हैं।
पहले और दूसरे फ्लोर पर क्या होगा?
राम मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर गर्भगृह है। इसके ऊपर पहले फ्लोर पर राम दरबार की मूर्तियों की स्थापना होगी। भक्त रामलला के दर्शन के बाद सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर जाकर राम दरबार के दर्शन कर सकेंगे। दूसरे फ्लोर पर किसी भी मूर्ति की स्थापना को लेकर अभी कुछ तय नहीं है।
4 जून को राम मंदिर में टपकने लगा था पानी, टॉर्च की रोशनी में हुई थी आरती
अयोध्या के राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने 6 जून को बताया था कि राम मंदिर की छतों से बारिश का पानी टपक रहा है। कहा था कि गर्भगृह में, जहां रामलला विराजमान हैं, वहां भी पानी भर गया।
श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा था, मैंने पहली मंजिल से बारिश का पानी गिरते हुए देखा है, क्योंकि गुरु मंडप खुला है। जब इसके शिखर का काम पूरा हो जाएगा, तो ये ढंक जाएगा। फिलहाल ऐसे हालात में ये होना ही है। गर्भगृह में कोई जल निकासी नहीं है, क्योंकि सभी मंडपों में पानी की निकासी के लिए ढलान को मापा गया है और गर्भगृह में पानी को मैन्युअल तरीके से निकाला जाता है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद 22 सितंबर को अयोध्या पहुंचे थे। गो-प्रतिष्ठा आंदोलन की शुरुआत की। रामकोट की परिक्रमा की। फिर जानकीघाट पर चारूशिला मंदिर में गो-ध्वज स्थापित किया, लेकिन रामलला का दर्शन करने नहीं गए थे।
उन्होंने कहा था- हमने प्रण लिया है कि जब तक राम मंदिर निर्माण पूरा नहीं हो जाता, तब तक हम दर्शन नहीं करेंगे। जिस मंदिर में शिखर नहीं, उसे मंदिर नहीं माना जाता। अभी मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। मंदिर जाने से पहले सबसे पहले ध्वज का दर्शन करना होता है। अभी ध्वज दर्शन के लिए उपलब्ध नहीं है। कलश दर्शन के लिए कलश उपलब्ध नहीं है। वहां जाकर क्या दर्शन करेंगे? जो दर्शन कर रहे हैं, वह श्रद्धालु हैं, हम जिम्मेदार व्यक्ति हैं।
रामलला के दर्शन की टाइमिंग बदली
रामलला के दर्शन का समय बदल गया है। इसके लिए राम मंदिर ट्रस्ट ने जानकारी दी है। ट्रस्ट के अनुसार भक्त सुबह 7 बजे से लेकर रात 9 बजे तक रामलला का दर्शन कर सकेंगे। हालांकि मंदिर सुबह 4.30 बजे खुल जााएगा।
इसके बाद 10 मिनट तक मंगला आरती होगी। फिर रामलला का पट बंद करके अभिषेक और श्रृंगार होगा। सुबह 6.30 बजे कपाट खुलेगा। इसके बाद तुरंत बाद श्रृंगार आरती होगी। सुबह 7 बजे से दर्शन के लिए प्रवेश शुरू हो जाएगा।