पूजा-पाठ की शुरुआत में बनाएं गणेशजी का प्रतीक स्वस्तिक

पूजा-पाठ की शुरुआत में बनाएं गणेशजी का प्रतीक स्वस्तिक
अभी गणेश उत्सव चल रहा है और इन दिनों गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है। गणेश पूजा हो या किसी अन्य देवी-देवता की पूजा हो या कोई भी अन्य धर्म-कर्म हो, सबसे पहले गणेश जी का प्रतीक चिह्न स्वस्तिक बनाया जाता है। माना जाता है कि स्वस्तिक बनाकर किसी काम की शुरुआत की जाती है तो वह काम बिना बाधा के पूरा हो जाता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, स्वस्तिक शब्द सु और अस्ति से मिलकर बना है। सु यानी शुभ और अस्ति यानी होना। इस शब्द का अर्थ है सब कुछ शुभ हो।

सकारात्मकता का प्रतीक है स्वस्तिक

स्वस्तिक का चिह्न गणित के धन चिह्न (+) से बनता है, ये सकारात्मकता का प्रतीक है। स्वस्तिक की चार रेखाएं चारों पुरुषार्थ अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्रतीक हैं। ये रेखाएं हमारे जीवन के चारों आश्रम, चारों लोक, चारों युग को दर्शाती हैं।

स्वस्तिक बनाते समय ध्यान रखें ये बातें

घर में कभी भी उल्टा स्वस्तिक नहीं बनाना चाहिए। घर के बाहर मंदिरों में उल्टा स्वस्तिक बनाया जा सकता है। दरअसल, उल्टा स्वस्तिक किसी मनोकामनाओं के लिए बनाते हैं और जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो उसी मंदिर में जाकर सीधा स्वस्तिक बनाया जाता है।

स्वस्तिक बनाते समय उसकी सुंदरता का भी ध्यान रखें। स्वस्तिक साफ-सुथरा, स्पष्ट और सुंदर दिखना चाहिए। टेढ़ा स्वस्तिक बनाने से बचना चाहिए। अस्पष्ट और टेढ़े स्वस्तिक की वजह से पूजा करते समय हमारा ध्यान भटक सकता है।

घर में पवित्रता बनाए रखने की कामना से काफी लोग घर के बाहर गोबर का स्वस्तिक बनाते हैं।

पूजा में हल्दी, कुमकुम या सिंदूर से स्वस्तिक बना सकते हैं।

वास्तु की मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है। घर में सकारात्मकता बनी रहती है।

गणेश जी की पूजा में ध्यान रखें ये बातें

गणेश पूजा में भगवान के दर्शन सामने से ही करना चाहिए। गणेश जी की पीठ के दर्शन न करें, क्योंकि भगवान की पीठ पर दरिद्रता वास करती है। गणेश जी के माथे पर ब्रह्मलोक, सूंड पर धर्म, कानों पर वेदों का ज्ञान, दाएं हाथ में वर यानी आशीर्वाद, दूसरे दाएं हाथ में बुराइयों को रोकने के लिए अंकुश, बाएं हाथ में अन्न, दूसरे बाएं हाथ में कमल यानी पवित्रता, पेट में सुख-समृद्धि, नाभी पर ब्रह्मांड, आंखों में प्रेम, पैरों में सातों लोकों का वास है। पीठ के दर्शन करने से घर में दरिद्रता बढ़ती है। गणेश जी के सामने से दर्शन करते हैं तो भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

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