ज्येष्ठ पूर्णिमा को सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने की है परंपरा
अभी ज्येष्ठ मास चल रहा है और इस माह की पूर्णिमा दो दिन (21-22 जून) रहेगी। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर संत कबीर दास जी की जयंती (22 जून) भी मनाई जाती है। ये पूर्णिमा धर्म-कर्म के नजरिए से बहुत खास है। इस दिन पूजा-पाठ, नदी स्नान के साथ ही भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने और सुनने की भी परंपरा है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य मिलता है। ऐसा पुण्य जिसका असर जीवनभर बना रहता है। हिन्दी पंचांग में एक साल में 12 पूर्णिमा होती हैं। पूर्णिमा पर ही महीना खत्म होता है। इस तिथि पर जो नक्षत्र रहता है, उसी के आधार पर महीनों के नाम रखे गए हैं। जैसे ज्येष्ठ पूर्णिमा पर ज्येष्ठा नक्षत्र रहता है। जानिए ज्येष्ठ पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
हिन्दी पंचांग की सभी पूर्णिमा पर गंगा, यमुना, अलकनंदा, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। जो लोग नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय नदियों का और तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।
पूर्णिमा पर दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करनी चाहिए। सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें।
भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। दूध में केसर मिलाएं और फिर भगवान का अभिषेक करें। दूध के बाद जल से अभिषेक करें। पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
घर के मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल का भी अभिषेक करें। नए वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-जलाएं। आरती करें।
हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। अगर समय अभाव न हो तो सुंदरकांड का पाठ करें।
किसी गोशाला में हरी घास का दान करें। गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। किसी मंदिर पूजन सामग्री का दान करें। जरूरतमंद लोगों को धन, कपड़े, अनाज, जूते-चप्पल का दान करना चाहिए।