*हनुमान जी ने पंचमुखी रूप में किया था अहिरावण का वध*

*हनुमान जी ने पंचमुखी रूप में किया था अहिरावण का वध*
*हनुमान जी के कई स्वरूप प्रचलित हैं। ऐसा ही एक स्वरूप है पंचमुखी हनुमान। हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप की पूजा करने से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।*

*उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और श्रीराम कथाकार पं. मनीष शर्मा के मुताबिक हनुमान जी पंचमुखी अवतार लेकर श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण से मुक्त कराया था। इस संबंध में प्रचलित कथा के अनुसार त्रेता युग में श्रीराम और रावण के युद्ध हो रहा था। श्रीराम के बाणों से रावण की सेना खत्म हो रही थी।*

*श्रीराम को रोकने के लिए रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावण को बुलाया। अहिरावण मां भवानी का भक्त था। उसने अपनी साधना का उपयोग करते हुए श्रीराम और लक्ष्मण सहित पूरी वानर सेना को एक साथ बेहोश कर दिया था। इसके बाद वह श्रीराम और लक्ष्मण को लेकर अपने साथ पाताल लोक ले गया।*

*कुछ समय बाद जब अहिरावण की शक्ति का असर खत्म हुआ तो विभीषण समझ गए कि ये काम अहिरावण ने किया है। तब विभीषण ने हनुमान जी को श्रीराम-लक्ष्मण की मदद के लिए पाताल लोक जाने के लिए कहा। विभीषण ने हनुमान जी को बताया था कि अहिरावण ने मां भवानी को प्रसन्न करने के लिए पांच दिशाओं में दीपक जला रखे हैं। जब तक ये पांचों दीपक जलते रहेंगे, तब तक अहिरावण को पराजित करना संभव नहीं है। ये पांचों दीपक एक साथ बुझाने पर ही अहिरावण की शक्तियां खत्म हो सकती हैं।*

*विभीषण के कहने पर हनुमान जी पालाल लोक पहुंच गए। वहां उन्होंने देखा कि अहिरावण ने एक जगह पांच दीपक जला रखे हैं। हनुमान जी ने पांचों दीपक एक साथ बुझाने के लिए पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपक एक साथ बुझा दिए।*

*इसके बाद अहिरावण की मायावी शक्तियां खत्म हो गई थीं। हनुमान जी और अहिरावण का युद्ध हुआ, जिसमें हनुमान जी ने उसका वध कर दिया।*

*अहिरावण का करने के बाद हनुमान जी ने श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और उन्हें लेकर लंका के युद्ध मैदान में फिर से पहुंच गए।*

*इस कथा की वजह से ही हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप में भी पूजा की जाती है। हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख है।*

*जो भक्त हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप की पूजा करते हैं, उन्हें भय और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। आत्मविश्वास बढ़ता है और मानसिक तनाव दूर होता है। हनुमान जयंती पर इस स्वरूप की तस्वीर या प्रतिमा के सामने बैठकर दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।*

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