इंदौर का 7 साल का दिव्यांग करेगा एवरेस्ट फतह
इंदौर। इंदौर का 7 साल का अवनीश हिमालय चढ़ने जा रहा है। एवरेस्ट की चढ़ाई वह अपने पिता आदित्य तिवारी के साथ करेगा।
अवनीश को बचपन से ही डाउंस सिंड्रोम है। मैं उसे ऐसी परवरिश देने की कोशिश कर रहा हूं, जिसमें उसे सहानुभूति या लाचारी का सामना नहीं करना पड़े। यही वजह है कि उसका आईक्यू अच्छा है। वह महू के आर्मी स्कूल में पढ़ रहा है। 13 अप्रैल को बेटे को लेकर एवरेस्ट ट्रैक के लिए मैं निकलूंगा। यह पहली बार है जब 7 साल का कोई बच्चा एवरेस्ट की चढ़ाई करेगा। नॉर्मल कहे जाने वाले बच्चे जिन्हें कोई बर्थ डिफेक्ट नहीं है, उनमें से भी किसी ने आज तक इस उम्र में एवरेस्ट की चढ़ाई नहीं की है।
लोग बोले- तुम्हें बेटे से प्यार नहीं, इसलिए ऐसा कर रहे
मैंने फैसला तो कर लिया, लेकिन इस पर अमल करने तक की यात्रा में कई बाधाएं आईं। असल में दिव्यांग और स्पेशली एबल्ड बच्चों के लिए लोग पहले से ही गिवअप मोड में होते हैं। ऐसे बच्चों को लोग दया की भावना से ही देखते हैं। उनसे कुछ भी ग्रेट करने की उम्मीद किसी को नहीं होती। पर मैं ऐसा नहीं सोचता। लॉकडाउन में जब बच्चों की दुनिया चारदीवारी में सिमट गई, तो मैंने सोचा कि लॉकडाउन के बाद मैं बेटे को लद्दाख ले जाऊंगा। वहां दलाई लामा के यहां 10 और 12 साल के मेरे दो फॉस्टर किड्स हैं। फॉस्टर किड्स यानी उनके पढ़ने और जीवनयापन का खर्च मैं उठाता हूं। मैं हर साल उनसे मिलने वहां जाता हूं। मेरी इच्छा थी कि एक बार मैं बेटे को उनसे मिलाने ले जाऊं। जब मैंने एक्सपर्ट से पूछा कि मैं अवनीश को ले जाना चाहता हूं तो उन्होंने मना कर दिया।
एक्सपर्ट ने कहा, वह जगह समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर है। क्यों ले जाना है बच्चे को, वह भी जो दिव्यांग है। मर जाएगा, जिंदा नहीं लौटेगा। एक्सपर्ट ने ऐसी तमाम बातें की.. लेकिन हम गए। हम प्लेन से गए। दिल्ली सी-लेवल से 500 मीटर ऊपर है। वहीं, लद्दाख 3500 मीटर है.. तो प्लेन से हमने सिर्फ एक घंटे में 3 हजार मीटर ऊंचाई का फासला तय कर लिया। किस्मत अच्छी है कि अवनीश को कुछ तकलीफ नहीं हुई। तब मुझे लगा कि अवनीश ऊंचाई पर जा सकता है। अब ऊंचाई का बेंचमार्क है ‘एवरेस्ट’। मैंने उसे लेकर एवरेस्ट जाने का सपना देखा। इससे पहले मैं उसे कश्मीर ले गया। गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम में देखा कि उसकी बॉडी कैसे रिस्पॉन्ड कर रही है।
कमरे में लगा रखे एवरेस्ट के मैप और तस्वीरें
अवनीश का हिम्मत, उसका हौसला बना रहे इसके लिए मैंने उसके कमरे में माउंट एवरेस्ट ट्रैकिंग के फोटो, उसका मैप लगा रखा है। अलग-अलग एल्टिट्यूड की ऊंचाई लिख रखी है। एवरेस्ट ट्रैक के बाद हम सेवन समिट भी करेंगे। इनकी तस्वीरें भी मैंने अवनीश के कमरे में लगा रखी हैं।
स्पेशल एडाप्टेड चाइल्ड के पिता से शादी के लिए परिवार को मनाया
आदित्य की पत्नी अर्पिता ने बताया कि, देश के पहले सिंगल पेरेंट आदित्य तिवारी से शादी की। तब बेटा अवनीश ढाई साल का था। अर्पिता केमिस्ट्री की लेक्चरर रही हैं, पर शादी के बाद उन्होंने जॉब छोड़ दी क्योंकि वे अपना पूरा समय बेटे की परवरिश को देना चाहती थी। अर्पिता बताती हैं- आदित्य जब पहली बार मुझसे और मेरे परिवार से मिलने आए, तब अवनीश भी उनके साथ था। मैं तो पहले से ही सब जानती थी। मेरे माता-पिता भी खिलाफ नहीं थे। आदित्य से शादी करने का मेरा फैसला इतनी सहजता से स्वीकार नहीं कर पा रहे थे, जिसकी वजह थी मेरे प्रति उनका प्रेम और फिक्र। मैं उन्हें मनाती रही। सबको लग रहा था लाइफ बहुत चैलेंजिंग हो जाएगी, लेकिन सच कहूं तो अवनीश मेरी जिंदगी का उजाला है।