हाफिज सईद को टेरर फंडिंग के दो मामलों में 32 साल जेल
लाहौर। पाकिस्तान की एंटी टेरेरिज्म कोर्ट ने जमाद-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को टेरर फाइनेंसिंग के 2 केस में 32 साल की सजा सुनाई है। 26/11 के मुंबई हमलों के इस मास्टरमाइंड को अब तक कुल 7 केस में 68 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि, इस बात के पुख्ता सबूत है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI उसकी निगरानी करती है और वो जेल के बजाए अपने घर में ही रहता है। सईद को करीब दो साल से किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर नहीं देखा गया है।
ज्यादा दिन जेल में नहीं गुजारेगा
न्यूज एजेंसी से बातचीत में हाफिज सईद के वकील ने कहा- सईद को ज्यादा वक्त जेल में नहीं गुजारना। उसकी सभी सजाएंग साथ-साथ चलेंगी और जल्द ही कोर्ट इस बारे में तस्वीर साफ कर देगा।
शुक्रवार को एंटी टेरेरिज्म कोर्ट के जज एजाज अहम भुट्टर ने पंजाब में दर्ज दो मामलों में सईद को सजा का एेलान किया। यह केस काउंटर टेरेरिज्म कोर्ट पंजाब की तरफ से दायर किए गए थे।
जुर्माना भी भरना होगा
सईद को शुक्रवार को जिन दो मामलों में सजा सुनाई गई है, उनमें पहला मामला 2019 का है। इसमें उसे 15.5 साल की सजा सुनाई गई है। दूसरा मामला सिर्फ एक साल पहले यानी 2021 का है। इसमें उसे 16.5 साल जेल में गुजारने होंगे। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसके अलावा इस आतंकी सरगना को 3.40 लाख रुपए (पाकिस्तानी करंसी) का जुर्माना भी भरना होगा।
सईद के वकील का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर उसे लाहौर के कोट लखपत जेल से लाया गया था। वो यहां 2019 से कैद है। अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है। 2008 में हुए मुंबई हमलों का वो मास्टरमाइंड है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी।
ISI की निगरानी में
पिछले साल जून में एक खबर ने हाफिज सईद को फिर चर्चा में ला दिया था। 23 जून को पाकिस्तान के लाहौर के जौहर कस्बे में एक धमाका हुआ था। इसमें 3 लोगों की मौत और 17 लोगों के घायल होने की खबर सामने आई थी। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि धमाका मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद के घर के पास हुआ था। वो फिलहाल जेल में है। हालांकि, पाकिस्तान के ही कुछ पत्रकार दावा करते हैं कि वो ISI की कड़ी निगरानी में हैं और लाहौर के उसी घर में रहता है, जहां ब्लास्ट हुआ था।
लाहौर पुलिस के मुताबिक, इस भीषण धमाके में करीब 30 Kg विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। इसमें विदेश में बने सामान का भी इस्तेमाल किया गया था। धमाके की वजह से घटनास्थल पर तीन फुट गहरा और 8 फुट चौड़ा गड्ढा बन गया था।