टाइगर कॉरिडोर के हिस्से पर निर्माण गतिविधियों पर लगाई रोका
बैतूल। बैतूल-ओबेदुल्लागंज नेशनल हाईवे – 69 पर चल रहे हाईवे निर्माण पर हाईकोर्ट जबलपुर ने रोक लगा दी है। निर्माण पर यह रोक सतपुड़ा मेलघाट टाइगर रिजर्व कॉरिडोर वाले हिस्से पर लागू होगी। एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह रोक लगाई गई है। मामले में एनएचएआई समेत पांच अन्य एजेंसियों को प्रतिवादी बनाया गया है। हाईवे निर्माण में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से अनुमति नहीं लेने का मुद्दा प्रमुख है।
महाराष्ट्र के अमरावती निवासी अद्वैत कावले ने जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। पेशी के दौरान कोर्ट ने एनएचएआई और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को संबंधित क्लियरेंस सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने के लिए समय दिया था, लेकिन दो पेशी के बाद भी उक्त विभाग संबंधित सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं कर पाए, जिसके बाद हाई कोर्ट जबलपुर ने शुक्रवार को तीसरी पेशी के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए तत्काल प्रभाव से नेशनल हाईवे 69 अब 46 के काम पर रोक लगा दी है। यह रोक उस हिस्से पर लगाई गई है, जहां से वन्य प्राणी कॉरिडोर गुजरता है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मिलिंद पारिवकम ने दैनिक भास्कर को बताया कि बैतूल जिले से औबेदुल्लागंज तक बन रहे हाईवे पर सतपुड़ा मेलघाट टाइगर कॉरिडोर के घने जंगल मौजूद हैं। इन कॉरिडोर से बाघ व अन्य वन्य प्राणी एक राष्ट्रीय उद्यान से दूसरे राष्ट्रीय उद्यान में जाते हैं, इसलिए इनका संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। नियमानुसार कॉरिडोर में हाईवे के निर्माण से पहले वन्य प्राणियों से संबंधित क्लियरेंस राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से लेना आवश्यक होता है, जिससे वन्य प्राणियों के अनुकूल राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जाता है, लेकिन एनएचएआई ने इस संबंध में अभी तक क्लियरेंस लेने से संबंधित कोई भी दस्तावेज उच्च न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया है, जिसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग – 69 के काम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
सारनी निवासी वाइल्ड लाइफ एंड नेचर कंजर्वेशन एक्टिविस्ट आदिल खान ने बताया कि बरेठा घाट पर पूर्व में भालू की मृत्यु के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, पिछले साल बैतूल के भौंरा में राष्ट्रीय राजमार्ग के पास बनी ट्रेन की पटरियों पर भी एक बाघ का शावक मृत मिला था। 2018 व 2019 में सारनी से रेस्क्यू हुआ, बाघ भी महाराष्ट्र से सतपुड़ा मेलघाट टाइगर कॉरिडोर से ही सारनी पहुंचा था, जिससे पता चलता है कि वन्य प्राणियों के माध्यम से टाइगर कॉरिडोर के बीच में बने राष्ट्रीय राजमार्ग को समय-समय पर क्रॉस किया जाता है, इसलिए राष्ट्रीय राजमार्ग का डिजाइन वन्य प्राणियों के लिहाज से बनाया जाना अत्यधिक आवश्यक है।