अमिताभ बच्चन के रिटायरमेंट पर अभिषेक बोलेअब रेस्ट ले लीजिए

अमिताभ बच्चन के रिटायरमेंट पर अभिषेक बोलेअब रेस्ट ले लीजिए
मुंबई। बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन अपनी अपकमिंग फिल्म ‘दसवीं’ से एक बार फिर स्क्रीन पर धमाल मचाने के लिए तैयार हैं। उनकी यह फिल्म 7 अप्रैल को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगी। बता दें कि, अभिषेक बच्चन इस फिल्म में ‘गंगा राम चौधरी’ की भूमिका निभाते नजर आएंगे, जिन्होंने जेल से 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देने का फैसला किया है। हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान अभिषेक ने इस फिल्म और पिता अमिताभ बच्चन के रिटायरमेंट से जुड़ी कुछ बातें शेयर की हैं। वैसे, सोशल मीडिया पर अभिषेक बच्चन के करियर को कई बार निशाना बनाया जाता है। लेकिन, वे इससे निपटना बेहद अच्छी तरह जानते हैं। उन्होंने यह भी बताया की ट्रोलर्स को जवाब देना क्यों जरूरी है।

बेटा होने के नाते कई बार पापा से कह चुका हूं कि आप रेस्ट ले लीजिए
मेरे घर में एक तरफ लगभग 80 साल के पिता (अमिताभ बच्चन) हैं, जो आज भी अपने काम में लगे हुए हैं। वो रोज काम पर निकलते हैं। 73 वर्षीय मां (जया बच्चन) हैं जो एक्ट्रेस के साथ-साथ पॉलिटिशियन भी हैं। इन दोनों को जब देखता हूं, तो लगता है कि मानो मुझे तो कितना काम करना बाकी है। हां, बेटा होने के नाते कई बार पापा से कह चुका हूं कि आप रेस्ट ले लीजिए। लेकिन, अब एहसास हुआ कि वे इसलिए अपने काम में एक्टिव हैं, क्योंकि वे फिजिकली और मेंटली एक्टीव हैं। दोनों उम्र के इस पड़ाव में आकर भी रिटायरमेंट वाली जिंदगी नहीं जी रहे हैं। हर दिन वे कुछ नया करने का सोचते हैं और उनकी यही बात मुझे बहुत मोटिवेट करती है।

यह फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है
इस इंडस्ट्री में 22 साल हो गए, लेकिन आज भी जब कोई प्रोजेक्ट रिलीज होता है, तो पेट में गुदगुदी होती है। एक अलग किस्म का नर्वसनेस होती है, जिसे शब्दों में बयान करना वाकई में आसान नहीं। वैसे, मुझे पर्सनली लगता है कि ये फीलिंग आना जरूरी है। तब जाकर हम खुद को बेहतर बना पाएंगे। यदि डर नहीं लगता तो मानो ओवर-कॉन्फिडेंट हो जाते हैं, जोकि बहुत गलत है। ‘दसवीं’ को लेकर एक तरफ नर्वसनेस है, तो दूसरी तरफ उत्साहित भी हूं। क्योंकि मुझे यकीन है कि लोगों को यह फिल्म पसंद आएगी। यह फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है। एक ऐसी फिल्म बनाने के लिए जो मनोरंजक हो और आपको एक विचार या कुछ सोचने के लिए छोड़ दे, ऐसे प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना वाकई में आनंद देता है। मुझे आशा है कि इसका ऑडियंस पर भी समान प्रभाव पड़ेगा।

स्क्रीन पर अपनी मेहनत देखकर काफी संतुष्टि महसूस हो रही है
मैंने अपने करियर में एक बात हमेशा फॉलो की है और वो है कि जो भी करो पिछले निभाए हुए किरदार से अलग करो। जब गंगाधर का किरदार मुझे ऑफर हुआ तो मैंने तुरंत हामी भर दी। मैंने ऐसा किरदार स्क्रीन पर कभी नहीं निभाया है. जो मेरे लिए चैलेंजिंग भी था। इस किरदार में ढलने के लिए मुझे तकरीबन तीन महीने लगे। हर दिन हम हरियाणवी भाषा और अपनी बॉडी लैंग्वेज पर काम करते थे। स्क्रीन पर अपनी मेहनत देखकर काफी संतुष्टि महसूस हो रही है। उम्मीद करता हूं कि ऑडियंस को भी यह फिल्म पसंद आए (मुस्कुराते हुए)।

तकरीबन 2000 असली कैदियों के साथ जेल सीक्वेंस शूट किया
फिल्म के कई सीन हमने आगरा के असली जेल में शूट किए हैं। हम लोगों ने वहां कुछ 5 हफ्ते शूट किया था और वो भी तकरीबन 2000 असली कैदियों के साथ। ऑडियंस जब फिल्म देखेगी तो उन्हें बैकग्राउंड में एक्टर्स नहीं, बल्कि असली कैदी दिखेंगे। खास बात यह थी कि शूटिंग खत्म होने के बाद वहां के कई कैदियों ने ठान लिया कि वे भी जेल में रहकर अपनी 10वीं पूरी करेंगे। उन्होंने पढ़ाई भी की और परीक्षा भी दी। मेरे और मेरी पूरी टीम के लिए यह बहुत गर्व की बात है।

यामी और निम्रत का काम को लेकर बहुत ही यूनिक स्टाइल और एप्रोच है
यामी गौतम और निम्रत कौर के साथ पहली बार काम किया और दोनों के साथ काम करने का अनुभव काफी अच्छा रहा। दोनों ही बहुत उम्दा कलाकार हैं और मैं विश्वास करता हूं कि जब आपके को-स्टार्स अच्छे होते हैं, तो आप अपने आप स्क्रीन पर अच्छे दिखते हो। यामी और निम्रत के साथ काम करने का एहसास भी कुछ ऐसा ही था। दोनों का काम को लेकर बहुत ही यूनिक स्टाइल और एप्रोच है।

हॉरर फिल्म करना चाहता हूं
मैंने अपनी 22 साल की पारी में कभी हॉरर फिल्म नहीं की है। सच कहूं तो एक तरफ मुझे हॉरर फिल्म देखना पसंद नहीं, डर लगता है (हंसते हुए)। लेकिन, इसके बावजूद मैं इस जॉनर में काम करना चाहता हूं। बचपन से ही मुझे भूत की फिल्म में काम करने की इच्छा रही है। हॉरर फिल्म में कोई डरावना सीन शूट होता है, तो बतौर एक्टर आप उस पर कैसे रिएक्ट करते हो, यह अपने करियर में एक बार एहसास करना है।

मुझे फर्क पड़ता है कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते और क्या बोलते हैं
कई लोग बहुत आसानी से कह देते हैं कि उन्हें सोशल मीडिया पर कही गई बातों से फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि, मेरे साथ ऐसा नहीं है। मुझे फर्क पड़ता है कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं और क्या बोलते हैं। हां, इस बात से मैं पूरी तरह से वाकिफ हूं कि यह ज्यादातर लोगों का पेशा ही है, हम जैसे लोगों को ट्रोल करने का। मुझे सेंस हो जाता है कि वो मजे लेने के लिए करते हैं और तब मैं चुप बैठता हूं। लेकिन, अगर कोई मेरे काम को लेकर बोले तो मैं उस पर रिएक्ट करता हूं। मैं खुद में कुछ बदलाव लाने के लिए कुछ ट्वीट्स पर रिप्लाई करता हूं। लेकिन, कई बार लगता है कि लोग बेकार में बात करते हैं, तो उन्हें उसी तरह का जवाब देकर चुप बैठ जाता हूं। मैं ऐसा ही हूँ…।

जब फिल्म या कोई प्रोजेक्ट नहीं चलता, तो बहुत बुरा लगता है
मुझे अपने करियर में लिया गया अब तक अपना कोई भी फैसला गलत नहीं लगा। अगर फिल्म हिट गई तो खुशी हुई, फ्लॉप हुई तो दुःख भी हुआ। सच्चाई यही है कि आपको ये सिचुएशन फेस करना होगा। अगर मेरी फिल्म नहीं चली तो मैं कभी डिफेंसिव नहीं बना, मैं एक्सेप्ट करता हूं कि हां शायद फिल्म अच्छी नहीं बनी और गलतियां तो हम सबसे होती हैं। अच्छा तब लगता है कि जब उस गलती के बाद एक और मौका मिलता है, उम्मीद बढ़ जाती हैं। यकीन मानिए, जब फिल्म या कोई प्रोजेक्ट नहीं चलता तो बहुत बुरा लगता है। आप कितना वक्त बिताते हो किसी कहानी पर, कितनी मेहनत करते हो और जब लोगों को नहीं पसंद आती है, तब वो आपको अंदर से तोड़ देता है। बस, सुधार लाने की गुंजाइश के साथ आपको आगे बढ़ना चाहिए।

सिनेमा को ओटीटी कभी रिप्लेस नहीं कर सकता
ओटीटी का अनुभव भी अच्छा रहा। अपनी सीरीज ‘ब्रीथ’ जब रिलीज हुई, उसके दूसरे दिन ही मुझे कोरोना हो गया था। मुझे याद है कि हॉस्पिटल में बैठकर मैं लोगों के रिएक्शन पढ़ रहा था, जो बहुत पॉजिटिव थे। ओटीटी की रीच बहुत अच्छी है। हालांकि मेरे लिए प्लेटफॉर्म मायने रखता है। कुछ चीजें बड़े पर्दे के लिए ही बनी होती हैं, थिएटर जाकर फिल्म देखने का मजा कुछ और ही है। सिनेमा को ओटीटी कभी रिप्लेस नहीं कर सकता। वहीं ओटीटी प्लेटफॉर्म नए कंटेंट के साथ एक्सपेरिमेंट करने के लिए बहुत अच्छा है।

मौका मिले तो साउथ की फिल्म जरूर एक्स्प्लोर करना चाहूंगा
कुछ साल पहले मुझे साउथ इंडियन फिल्म ऑफर हुई थी, मणि रत्नम सर ने ऑफर की थी। हालांकि, उस वक्त मैंने मना कर दिया था। मैं उस वक्त भाषा के साथ कम्फर्टेबल नहीं था। मुझे वक्त नहीं मिला कोई नई भाषा सिखने के लिए और आधी अधूरी तैयारी के साथ मैं कोई फिल्म करना नहीं चाहता था। आने वाले दिनों में यदि मौका मिले तो साउथ की फिल्म जरूर एक्स्प्लोर करना चाहूंगा।

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