रंग पंचमी मंगलवार को
रंग पंचमी है। होली के बाद चैत्र कृष्ण पंचमी पर रंग पंचमी मनाई जाती है। ये लोक पर्व है और कुछ खास हिस्सों में ही मनाया जाता है। मध्य प्रदेश के अधिकांश शहरों में रंग पंचमी बड़े स्तर पर मनाते हैं और लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। रंगों का हमारे स्वास्थ्य और मन पर सीधा असर होता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार ज्योतिष में बताए गए सभी ग्रहों के अलग-अलग रंग हैं, सिर्फ सूर्य ही एक ऐसा ग्रह है, जिसमें सातों खास रंग मौजूद हैं। ठीक इसी तरह हमारे शरीर में भी ये सातों रंग मौजूद हैं। अगर शरीर में किसी एक रंग का भी संतुलन बिगड़ जाए तो हमें शारीरिक और मानसिक तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है।
रत्न शरीर में रंगों को करते हैं संतुलित
कुंडली में ग्रहों की शुभ-अशुभ स्थिति के अनुसार उनसे संबंधित रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। रत्न भी अलग-अलग रंग के होते हैं। रत्नों के रंग हमारे शरीर में संबंधित ग्रह के रंग को संतुलित करने का काम करते हैं। होली और रंग पंचमी पर एक-दूसरे को तरह-तरह के रंग लगाए जाते हैं। इन रंगों से भी शरीर में रंगों का संतुलन व्यवस्थित होता है।
रंगों के भी होते हैं अलग-अलग गुण
लाल रंग का मुख्य गुण है ऊर्जा और उत्साह। पीला रंग धैर्य और धर्म का प्रतीक है। नीला रंग दिन में उग्रता और रात में शांति देता है। हरा रंग सुकून देने वाला है। गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। केसरी रंग सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है। सफेद रंग पवित्रता और शांति दर्शाता है। काला रंग अंधकार को दर्शाता है।