हार पर मंथन: गहलोत बोले- अध्यक्ष बनें राहुल, हार से घबराएं नहीं

हार पर मंथन: गहलोत बोले- अध्यक्ष बनें राहुल, हार से घबराएं नहीं
नई दिल्ली। पांच राज्यों में कांग्रेस को मिली करारी हार पर मंथन के लिए कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक खत्म हो गई है। इसकी अध्यक्षता सोनिया गांधी ने की। बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ नेता एके एंटोनी तबीयत खराब होने की वजह से मीटिंग में नहीं पहुंचे।

बैठक से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी की कमान संभाले। उन्होंने कहा कि हार से घबराने की जरूरत नहीं है। भाजपा चुनाव के समय में हिंदु-मुस्लिम करती है और बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों को पीछे कर देती है।
राहुल गांधी के समर्थन में आए कार्यकर्ता
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के दौरान कांग्रेस हेडक्वाटर्स के बाहर कार्यकर्ता जमा हुए और उन्होंने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर नारेबाजी की। इसके साथ ही उन्होंने प्रियंका गांधी के समर्थन में भी नारे लगाए।
लीडरशिप में बदलाव की खबरों को पार्टी ने खारिज किया
इससे पहले, पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पार्टी की लीडरशिप में बदलाव की खबरों को खारिज कर दिया है। उन्होंने एक ट्वीट करके कहा- ‘कथित इस्तीफे की खबर पूरी तरह से अनुचित, शरारती और गलत है। एक टीवी चैनल भाजपा के कहने पर काल्पनिक स्रोतों के आधार पर कहानियां पेश कर रहा है।’
लीडरशिप से असंतुष्ट सदस्य भी बैठक में शामिल
सभी की निगाहें पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका पर हैं। बैठक में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के वे सभी सदस्य भी मौजूद हैं, जिनकी पांच राज्यों के चुनावों में प्रत्याशी चुनने से लेकर चुनाव मैनेजमेंट तक में प्रमुख भूमिका रही। कांग्रेस नेतृत्व से असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 के सदस्य गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा भी CWC के सदस्य हैं।
पार्टी नेताओं पर अध्यक्ष चुनने का दबाव
CWC की बैठक एक बड़ी सभा होती, जिसमें 60 से अधिक स्थायी आमंत्रित और विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल होते हैं। सूत्रों ने कहा कि चुनावी हार के मद्देनजर पार्टी भीतर भी रोष है। 2019 के लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद पार्टी के असंतुष्ट नेताओं ने जी-23 बनाया था। तब सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष तो बना दिया गया, लेकिन तब से अब तक लगभग तीन साल में पार्टी अपना अध्यक्ष नहीं बना सकी है।

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