यूक्रेन में फंसे भारतीयों का दर्द:, हमारी फ्लाइट्स क्यों अंदर नहीं आ रहीं
कीव/ नई दिल्ली। ‘ईरान-इराक के हमारे दोस्तों को उनकी सरकार यूक्रेन से ले गई। उनकी सरकारों ने फाइटर प्लेन भेजे, जो सीधे कीव में उतरे और वहां फंसे हुए अपने लोगों को निकाल ले गए। हमारी सरकार कीव में फ्लाइट्स क्यों नहीं भेज रही?’
यह दर्द यूक्रेन में फंसे शुभम पाठुले का है। वे यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 500 किलोमीटर दूर लवीव शहर में फंसे हुए हैं। शुभम के साथ भारत के 50 अन्य स्टूडेंट्स भी हैं। इनमें से अधिकतर पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के रहने वाले हैं।
ये सभी लवीव में एक हॉस्टल में रुके हुए हैं। युद्ध शुरू होने से पहले ही इन्होंने राशन खरीद लिया था। अब खुद ही खाना बनाकर खा रहे हैं। खाना एक बार ही बनता है, क्योंकि राशन ज्यादा नहीं है।
सायरन बजते ही बंकर में घुसना होता है
शुभम ने दैनिक भास्कर को बताया कि हमारे हॉस्टल के पास ही एक चर्च है, उसके बेसमेंट को बंकर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे ही कोई खतरे की आशंका होती है, सिटी पुलिस सायरन बजाती है। सायरन की आवाज आते ही सभी को हॉस्टल से निकलकर बंकर की तरफ दौड़ना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि फिर पुलिस का सिग्नल मिलने के बाद ही कोई भी बंकर से बाहर निकल सकता है। ऐसा दिन में कई दफा हो रहा है। ग्रुप में 8 लड़कियां भी शामिल हैं। बार-बार बंकर में घुसना-निकलना और फिर हॉस्टल में डरकर रहना मेंटल हेल्थ पर भी असर डाल रहा है। यहां कई स्टूडेंट्स मानसिक तौर पर बुरी तरह परेशान हो चुके हैं।
माइनस 4 डिग्री है टेम्प्रेचर, बंकर में और कम हो जाता है
जिस एरिया में यह ग्रुप फंसा हुआ है, वहा का टेम्प्रेचर माइनस 4 डिग्री तक पहुंच रहा है। बंकर में जाने के बाद टेम्प्रेचर और ज्यादा कम हो जाता है। स्टूडेंट्स एम्बेसी से लगातार कॉन्टैक्ट कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी हॉस्टल में ही रुकने के लिए कहा जा रहा है।
एम्बेसी की तरफ से ये भी कहा गया है कि किसी को तुरंत निकलना ही है तो वे अपने रिस्क पर बॉर्डर एरिया पहुंचे। फिर वहां से जो फ्लाइट्स अवेलबल होंगी, उसमें वे भारत आ सकते हैं। शुभम कहते हैं, हमारे कई दोस्त बॉर्डर पर फंसे हुए हैं, वहां हालात यहां से भी ज्यादा खराब हैं।
स्टूडेंट्स यह सोच रहे हैं कि रिस्क लेकर वहां पहुंच भी गए तो क्या पता वहां से फ्लाइट मिलेगी भी या नहीं। शुभम ने कहा, हमारे ईरान-इराक वाले दोस्तों को उनकी सरकार फाइटर प्लेन से निकालकर घर ले गई। फिर हमारी फ्लाइट्स यूक्रेन में क्यों नहीं घुस रहीं? हमें पोलैंड, हंगरी और रोमानिया बॉर्डर पर जाने के लिए कहा जा रहा है।
पुलिस ने वॉट्सऐप पर ग्रुप बनाया
स्टूडेंट्स को अलर्ट करने के लिए यूक्रेन की पुलिस ने वॉट्सऐप पर भी ग्रुप बना दिया है। लोकल लेवल पर बनाए गए इन ग्रुप्स के जरिए ही स्टूडेंट्स को इन्फॉर्म किया जा रहा है।
बॉर्डर पर फंसे, कोई फोन नहीं उठा रहा
यूक्रेन में फंसे शिवम ने भास्कर के साथ अपने दोस्त पुलकित श्रीवास्तव का वीडियो भी शेयर किया। पुलकित ने बताया कि एम्बेसी के कहने पर हम लोग रोमानिया बॉर्डर आ गए थे, लेकिन यहां हमारी मदद के लिए कोई नहीं है।
उन्होंने कहा, एम्बेसी से जो नंबर दिए गए थे, वे लोग हमारा फोन ही नहीं उठा रहे। मैसेज का भी रिप्लाई नहीं कर रहे। बॉर्डर पर माइनस 5 डिग्री के टेम्प्रेचर में 5 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स फंसे हुए हैं। इसमें भारत के साथ ही दूसरे देशों के स्टूडेंट्स भी शामिल हैं।