शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं बिल्व पत्र?
मंगलवार, 1 मार्च को शिव पूजा का महापर्व शिवरात्रि है। शिवरात्रि पर अगर विशेष पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो एक लोटा जल शिवलिंग पर अर्पित करके बिल्व पत्र चढ़ा दें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने का महत्व काफी अधिक है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई भक्त शिवलिंग पर सिर्फ बिल्व पत्र चढ़ाता है तो भी उसे शिव कृपा मिल सकती है।
शिव पूजा में बिल्व पत्र क्यों चढ़ाते हैं?
इस परंपरा का संबंध समुद्र मंथन है। जब देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो सबसे पहले हलाहल विष निकला था। इस विष को शिव जी अपने गले में धारण कर लिया था। विष के प्रभाव से समुद्र के शरीर में गर्मी बढ़ने लगी थी। उस समय सभी देवी-देवताओं ने शिव जी को बिल्व पत्र खिलाए थे। बिल्व पत्र विष का प्रभाव कम कर सकता है और शरीर की गर्मी को शांत करता है। बिल्व पत्र की वजह से शिव जी शीतलता मिली थी। तभी से शिव जी बिल्व पत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।
बिल्व वृक्ष के पेड़ में देवी-देवताओं का वास
शिव पुराण के मुताबिक बिल्व का पेड़ शिव जी का ही एक स्वरूप है। इसे श्रीवृक्ष भी कहा जाता है। श्री लक्ष्मी जी का एक नाम है। इस कारण बिल्व की पूजा से लक्ष्मी जी की भी प्रसन्नता मिल सकती है। इस पेड़ की जड़ों में गिरिजा देवी, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में देवी कात्यायनी का वास माना गया है।
बिल्व पत्र तोड़ते समय ध्यान रखें ये तिथियां
शिव पुराण के मुताबिक बिल्व पत्र के बिना शिव पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। बिल्व के पेड़ को शिवद्रुम कहा जाता है। बिल्व पत्र किसी भी माह, किसी भी पक्ष की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी तिथि, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार को न तोड़ें। दोपहर के बाद भी बिल्व पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। अगर इन तिथियों बिल्व पत्र की आवश्यकता हो तो एक दिन पहले ही ये पत्ते तोड़ लेना चाहिए। जैसे सोमवार को जरूरत हो तो रविवार को ही बिल्व पत्र तोड़कर रख लेना चाहिए।
क्या शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बिल्व पत्र दोबारा चढ़ा सकते हैं?
शिवलिंग पर चढ़ाया गया बिल्व पत्र बासी नहीं माना जाता है। शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्व पत्र को धोकर फिर से पूजा में चढ़ाया जा सकता है। नए बिल्व पत्र न मिलने पर ऐसा कई दिनों तक किया जा सकता है।