पत्नी को मौत के मुंह से खींच लाया डॉक्टर पति
पाली। इस Valentine’s Day पर आपको डॉक्टर सुरेश चौधरी और उनकी पत्नी की प्रेम कहानी जरूर पढ़नी चाहिए। पत्नी को मौत के मुंह से वापस लाने के लिए डॉक्टर ने अपनी नौकरी दांव पर लगा दी। इलाज के लिए MBBS की डिग्री गिरवी रखकर 70 लाख का लोन लिया। इलाज पर सवा करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए।
पाली के खैरवा गांव के 32 वर्षीय डॉक्टर सुरेश चौधरी पीएचसी में पोस्टेड हैं। पत्नी व 5 साल के बच्चे के साथ गांव में ही रहते हैं। मई 2021 में उनकी खुशहाल जिंदगी में भूचाल सा आ गया। कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी। उनकी पत्नी अनिता (अंजू) चौधरी को बुखार आया और 13 मई को रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई। तबीयत बेहद ज्यादा बिगड़ गई।
अंजू को बांगड़ हॉस्पिटल लेकर गए, लेकिन वहां बेड नहीं मिला। इसके बाद 14 मई को जोधपुर एम्स में भर्ती करवाया। दो दिन वहां रहने के बाद रिश्तेदार को पत्नी के पास छोड़ ड्यूटी पर आ गए, क्योंकि कोरोना पीक पर था और डॉक्टरों को छुट्टी नहीं मिल रही थी।
30 मई को जोधपुर एम्स में पत्नी से मिलने पहुंचे तो हालत और ज्यादा बिगड़ गई थी। वे छोटे वेंटिलेटर पर थीं और लंग्स 95% तक खराब हो चुके थे। डॉक्टरों ने बताया कि बचना मुश्किल है, लेकिन सुरेश ने हार नहीं मानी और पत्नी को अहमदाबाद ले गए। वहां 1 जून को प्राइवेट हॉस्पिटल जायड्स में भर्ती करवाया।
87 दिन ईसीएमओ मशीन पर रखा, रोज का खर्च 1 लाख से ज्यादा
अंजू का वजन 50 किलो से गिरकर 30 किलो हो गया था। बॉडी में खून महज डेढ़ यूनिट बचा था। अंजू को ईसीएमओ मशीन पर लिया। इस मशीन के जरिए हार्ट व लंग्स बाहर से ऑपरेट होते हैं। यहां का रोजाना का खर्च एक लाख रुपए से ज्यादा था। सुरेश कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे थे, लेकिन उनका एक ही मकसद था…पत्नी की जान बचाना।
आखिर ईश्वर ने इनकी सुनी और पूरे 87 दिन इस मशीन पर रहने के बाद अनिता के लंग्स में सुधार हुआ और वे फिर से बोलने लगीं। कुछ ही दिनों में उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।