कर्नाटक पुलिस की मदद से गांव लौटे बंधक मजदूर

कर्नाटक पुलिस की मदद से गांव लौटे बंधक मजदूर
बैतूल। मारपीट,धमकी और प्रताड़ना सह रहे 36 मजदूरों को कर्नाटक से रेस्क्यू कराया गया। वे एक महीने से बीजापुर जिले में ठेकेदार की धमकी, मारपीट और प्रताड़ना सह रहे थे। बैतूल के पालंगा से मजदूरो को दो महीने के लिए गन्ना कटाई के लिए ले गए थे।
इनमें मजदूरों के ग्यारह बच्चे भी शामिल थे। पिछले 6 नवंबर को कर्नाटक के बीजापुर जिले की इंडी तहसील के गुबड़ गांव का चरनू नाम का खेत मालिक प्रति जोड़ा चालीस रुपए देकर मजदूरो को गन्ना काटने के लिए ले गया था। दो माह का काम खत्म होने के बाद मजदूरों ने जब वापसी की गुहार लगाई तो उन्हें रोक लिया। उनसे एक माह और बिना मजदूरी के काम करवाया गया।
तंग मजदूरो में शामिल महिला सोनकली सलामें ने गांव में सोशल मीडिया के जरिए सम्पर्क किया। यह खबर जब सामाजिक कार्यकर्त्ता करुणा शंकर शुक्ला को मिली तो उन्होंने वनवासी कल्याण परिषद से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विक्रांत सिंह कुमरे से संपर्क किया। उन्होंने कर्नाटक के डीजीपी कार्यालय, विजयपुरा एसपी, डीएसपी से बात की।
एसपी के निर्देशन में एक टीमर गुबड़ी पहुंचकर बंधक मजदूरों खेत मालिक के चुंगल से रेस्क्यू कर सोलाहपुर रेलवे स्टेशन तक सुरक्षित भिजवाया। वहां से उनके खंडवा आने का टिकट का प्रबंध कर खंडवा जिले में श्री विक्रांत सिंह कुमरे के नेतृत्व में काम कर रही टीम के सक्रिय सामाजिक और पैरा लीगल वालंटियर मोहन रोकड़े, प्रभु मसानी, अजय भलराय द्वारा बंधक मजदूरों को खंडवा लाया गया, यहां उनके भोजन, ठहरने की व्यवस्था करा उनका स्वास्थ्य चेकअप कराया गया और साथ ही निजी वाहन से उनके गांव पलंगा छुड़वाया।

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