15 बाहरी बच्चों ने बिना वैक्सीन लगवाए ले लिया सर्टिफिकेट
इंदौर। इंदौर में 15 से 18 साल एज ग्रुप के वैक्सीनेशन में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। मामला बड़ा गणपति स्थित सरकारी सुभाष हायर सेकेण्डरी का है। जहां 15 बच्चों ने वैक्सीन नहीं लगवाई और कोविन पोर्टल पर सर्टिफिकेट जारी हो गया। ये सभी बच्चे स्कूल से बाहर के हैं। इनमें से कोई भी स्कूल नहीं पहुंचा। जबकि स्कूल को अलॉट पोर्टल पर पहले और दूसरे डोज की वैक्सीन का सर्टिफिकेट भी बन गया।
स्कूल प्रबंधन ने अब स्वास्थ्य विभाग से शिकायत की है। प्रारंभिक तौर पर स्कूल के कोविन पोर्टल का पासवर्ड चुराने का मामला सामने आया है। मामले की जांच शुरू हो गई है। यह पता लगाया जा रहा है कि बच्चों ने किस उद्देश्य से वैक्सीन लगाए बगैर प्रमाण पत्र हासिल किये।
ऐसे पकड़ में आया मामला
रोज की तरह रजिस्टर में लिखने वाली शिक्षिका ने कोविन पोर्टल से क्रॉस चेक किया तो पता चला कि 15 बच्चे ऐसे हैं जिनकी एंट्री स्कूल की कोविन आईडी पोर्टल पर तो थी लेकिन रजिस्टर में नहीं थी। कई बार चेक करने पर पता चला कि ये 15 बच्चे एक वर्ग समूह के हैं।
– इनमें 11 लड़के और 4 लड़कियां हैं।
– इनमें से 7 को पहला डोज और 8 को दोनों डोज लग चुके हैं।
– सभी ने सर्टिफिकेट डॉउनलोड कर लिए लेकिन इन्हें वैक्सीन नहीं लगी।
शिकायत के बाद आईडी पासवर्ड लॉक –
प्रिंसिंपल किरणबाला जायसवाल ने बताया कि स्कूल प्रबंधन ने तत्काल कोविड कंट्रोल रूम से शिकायत की। तब कंट्रोल रूम ने स्कूल को जारी पोर्टल को लॉक कर दिया। फिर दूसरा पासवर्ड जारी किया। इसके बाद नए रजिस्ट्रेशन किये गए।
स्कूल का आईडी पासवर्ड चोरी होने की आशका –
कोविड कंट्रोल रूम ने टीकाकरण अधिकारी डॉ. तरुण गुप्ता को सूचना दी। इसके बाद उन्होंने निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल को सूचित किया। डॉ. तरुण गुप्ता के मुताबिक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन तो कोई भी करा सकता है लेकिन वैक्सीन लगाने के दौरान ओरिजनल आईडी व खुद की फिजिकल अटैंण्डेंस के बाद ही वैक्सीन लगाई जाती है। संभव है कि सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराया हो। यह भी आशंका है कि स्कूल को जारी आईडी का पासवर्ड किसी ने चुरा लिया हो।
जैसे सर्टिफिकेट निकाला वैसे ही जवाब दिये बच्चों ने –
आदिल- वैक्सीन लगवाया पर कहां लगवाया ये नहीं पता।
अब्दुल- तारीख याद नहीं, कहां लगाया देखकर बताउंगा।
सैफुल्ला- मेरी उम्र तो 22 साल है मैं तो गया ही नहीं।
अनवर- मैंने नहीं मेरी छोटी बहन ने लगवाया था, कहां लगावया ये नहीं पता।
कलीम- मैंने तो रीगल टॉकिज के पास बने सेंटर में लगवाया था।
आफशा- मैंने नहीं पापा ने लगवाया था।