सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को, नदी में स्नान करने के बाद करें दान-पुण्य
सोमवार, 31 जनवरी को माघ मास की अमावस्या है। सोमवार को अमावस्या होने से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। माघ मास में तीर्थ स्नान और दान-पुण्य करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। प्रयागराज में माघ मास का खास मेला लगता है, इस मेले में देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। संगम में स्नान करते हैं, काशी विश्वनाथ के दर्शन करते हैं। दान-पुण्य करते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस अमावस्या पर किए गए दान-पुण्य और तीर्थ स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है। मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। इस तिथि पर अपने-अपने क्षेत्रों की पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए और क्षेत्र के पौराणिक महत्व वाले तीर्थों के, मंदिरों के दर्शन करना चाहिए। पूजा-पाठ आदि शुभ काम करना चाहिए।
अगर हम किसी नदी में स्नान करने नहीं जा पाते हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाएं और तीर्थों का ध्यान करते हुए स्नान करें। सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और सूर्यदेव को चढ़ाएं। ऐसा करने से भी तीर्थ और नदी स्नान के बराबर पुण्य मिल सकता है। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को अनाज और गोशाला में धन, हरी घास का दान करें।
अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। घर में दोपहर करीब 12 बजे गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और उसके अंगारों पर गुड़-घी डालें। पितरों का ध्यान करें। हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को अर्घ्य अर्पित करें। किसी शिव मंदिर में दीपक जलाएं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।