‘सुपर टाइग्रेस मॉम’ को सचिन का सलाम
भोपाल। मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व की ‘सुपर टाइग्रेस मॉम’ की मौत से मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी काफी दुखी हैं। इस बारे में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए दुख जताया। उन्होंने लिखा- ‘वाइल्ड लाइफ को दिल से जीने वाले ही समझ सकते हैं कि इस राजसी बाघिन का चला जाना कितना दिल तोड़ने वाला है.. शांति से रहिए ‘कॉलरवाली’। बता दें कि ये वही बाघिन थी, जिसे पर्यटकों ने 27 जनवरी 2019 को अपने बच्चों को मुंह में दबाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाते हुए कैमरे में कैप्चर किया था। टाइग्रेस का यह फोटो दुनियाभर में चर्चित रहा था और तकरीबन एक लाख बार रीट्वीट हुआ था। इसे सचिन ने भी रीट्वीट किया है।
दो दिन पहले रविवार को मादा बाघ को नम आंखों से विदाई दी गई। ‘कॉलरवाली’ बाघिन की मौत शनिवार शाम हुई थी। 16 की उम्र की यह बाघिन तीन-चार दिन से बीमार चल रही थी। मुन्ना बाघ के बाद सबसे ज्यादा उम्र का रिकॉर्ड इसी के नाम है। मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में ‘कॉलर वाली बाघिन’ की महत्वपूर्ण भूमिका है। उसके नाम सबसे अधिक संख्या में प्रसव और शावकों के जन्म का रिकॉर्ड भी है। सितंबर 2005 में जन्मी यह बाघिन 8 बार में 29 शावकों को जन्म दे चुकी थी। उसके नाम पर एक साथ पांच बच्चों को जन्म देने का भी रिकॉर्ड दर्ज है। टी-15 यानी ‘कॉलर वाली’ बाघिन की मौत के बाद रविवार को उसे सम्मानपूर्वक विदाई दी गई।
बेटी बढ़ा रही मां की विरासत
वर्तमान में पाटदेव बाघिन (टी-4) जो कि अपने पांच शावकों के साथ पार्क की शोभा बढ़ा रही है। वह कॉलर वाली बाघिन की ही संतान है और मां की विरासत को आगे बढ़ा रही है।
नाम कॉलरवाली बाघिन क्यों?
पेंच टाइगर रिजर्व में 11 मार्च 2008 को बाघिन को बेहोश कर देहरादून के विशेषज्ञों ने रेडियो कॉलर पहनाया था। इसके बाद से पर्यटकों के बीच वह कॉलरवाली के नाम से प्रसिद्ध हो गई। उसकी मां को टी-7 बाघिन (बड़ी मादा) और पिता को चार्जर के नाम से जाना जाता था।