इस पवित्र महीने में रहेंगे गुप्त नवरात्र और वसंत पंचमी जैसे बड़े पर्व
माघ मास 18 जनवरी से 16 फरवरी तक रहेगा। इस महीने में मौनी अमावस्या, गुप्त नवरात्रि और वसंत पचंमी जैसे पर्व मनाए जाएंगे। इस महीने तीर्थ स्नान और दान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने की भी परंपरा है। पद्म पुराण के मुताबिक माघ मास में किए गए दान का अक्षय फल मिलता है। यानी इसका पुण्य कभी खत्म नहीं होता। साथ ही बताया गया है कि इस महीने तीर्थ स्नान से मोक्ष मिलता है। इसलिए ये महीना पवित्र माना गया है।
शुक्रवार, 21 जनवरी: इस दिन माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी रहेगी। इसे तिल चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन तिल-गुड़ का दान करें। गणेशजी के लिए व्रत-उपवास करें।
शुक्रवार, 28 जनवरी: इस दिन माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे षट्तिला एकादशी कहते हैं। इस दिन तिल का दान करें। भगवान विष्णु के लिए व्रत करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें।
शनिवार, 29 जनवरी: इस दिन माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी है। इसे तिल द्वादशी कहते हैं। इस दिन तिल का दान करें। भगवान विष्णु के अभिषेक के साथ विशेष पूजा और व्रत करने से मनोकामना पूरी होती है।
मंगलवार, 1 फरवरी: इस दिन माघ मास की अमावस्या रहेगी। इसे मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन पितरों के धूप-ध्यान करें। किसी पवित्र नदी में स्नान और दान-पुण्य करें।
बुधवार, 2 फरवरी: ये गुप्त नवरात्र का पहला दिन रहेगा। इस दिन से ही माघ महीने का शुक्लपक्ष शुरू हो जाएगा। इन नौ दिनों में दश महाविद्याओं की पूजा आराधना की जाएगी।
शुक्रवार, 4 फरवरी: ये माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। ये तिथि गणेशजी की पूजा करने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इस दिन गणेशजी के व्रत किया जाता है।
शनिवार, 5 फरवरी: इस दिन वसंत पंचमी है। इसी तिथि पर माता सरस्वती प्रकट हुई थीं। इस दिन देवी सरस्वती को केसरिया भात का भोग लगाया जाता है।
शनिवार, 12 फरवरी: इस दिन जया एकादशी रहेगी। इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण की पूजा करें। बाल गोपाल को तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
रविवार, 13 फरवरी: इस दिन कुंभ संक्रांति रहेगी। सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और तीर्थ दर्शन करने का विशेष महत्व है।
शनिवार, 16 फरवरी: इस दिन माघ मास की आखिरी तिथि यानी पूर्णिमा रहेगी। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करें और दान-पुण्य करें। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने की भी परंपरा है।