लोकतंत्र समर्थक नोबेल विजेता को सू की को 4 साल की जेल
म्यांमार की नोबेल पुरस्कार विजेता और लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू की को 4 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने उन्हें सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने और कोरोना नियम तोड़ने का दोषी माना गया है।
म्यांमार में 1 फरवरी 2021 की रात सेना ने तख्तापलट करते हुए सू की हाउस अरेस्ट कर लिया था। मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग तब से देश के प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा था कि 2023 में आपातकाल खत्म कर दिया जाएगा और आम चुनाव कराए जाएंगे। तख्तापलट के बाद म्यांमार में खूनी संघर्ष हुआ था। इसमें 940 लोग मारे गए थे।
म्यांमार की इकोनॉमी पर सेना का कंट्रोल
म्यांमार की अर्थव्यवस्था पर सेना का नियंत्रण है। इसमें शराब, सिगरेट से लेकर टेलीकॉम, रियल स्टेट, माइनिंग भी शामिल है। वहां के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं की मांग है कि सेना को होने वाले रेवेन्यू पर चोट पहुंचाना जरूरी है। इसमें ऑयल और गैस के बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। इससे म्यांमार की सेना को बड़ा फायदा होता है।
तख्तापलट क्यों?
नवंबर 2020 में म्यांमार में आम चुनाव हुए थे। इनमें आंग सान सू की की पार्टी ने दोनों सदनों में 396 सीटें जीती थीं। उनकी पार्टी ने लोअर हाउस की 330 में से 258 और अपर हाउस की 168 में से 138 सीटें जीतीं। म्यांमार की मुख्य विपक्षी पार्टी यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी ने दोनों सदनों में मात्र 33 सीटें ही जीतीं। इस पार्टी को सेना का समर्थन हासिल था। इस पार्टी के नेता थान हिते हैं, जो सेना में ब्रिगेडियर जनरल रह चुके हैं।
नतीजे आने के बाद वहां की सेना ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। सेना ने चुनाव में सू की की पार्टी पर धांधली करने का आरोप लगाया था। इसे लेकर सेना ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग की शिकायत भी की। चुनाव नतीजों के बाद से ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार और वहां की सेना के बीच मतभेद शुरू हो गया था।