कैबिनेट बैठक में ‘शिव’ के सामने बहने लगी उल्टी गंगा, मंत्री भी चौंक गए
भोपाल। मंत्रालय में बीते मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में एक सीन देखकर मंत्री चौंक गए। हुआ यह था कि मुख्यमंत्री ने पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या भील के नाम से करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजने की जानकारी दी। इस पर एक मंत्री ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। साथ ही पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का फैसला लेने के लिए भी मुख्यमंत्री की सराहना हुई, लेकिन एक मंत्री ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ में कसीदें पढ़ना शुरू कर दिए। मंत्रीजी ने कमलनाथ सरकार गिरने के बाद सत्ता में आने से लेकर अब तक किए गए कामों का पूरा श्रेय मुख्यमंत्री को दिया। उन्होंने करीब 10 मिनट तक एक-एक योजनाओं का नाम लेकर क्रेडिट मुख्यमंत्री को दिया।
ऐसा सीन पहले कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों ने नहीं देखा था। सभी मंत्री अवाक रह गए। इसकी वजह यह है कि जिस मंत्री के मुंह से तारीफ के शब्द बरस रहे थे, उन्हें हमेशा मुख्यमंत्री के प्रतिद्वंद्वी की नजर से देखा जाता रहा है। मंत्रीजी केंद्रीय नेतृत्व का करीबी होने के कारण ‘सरकार’ के सामने हमेशा अपने कद का प्रदर्शन करते रहे, लेकिन उनमें अचानक आए इस बदलाव को लेकर बैठक में मौजूद अफसर भी भौंचक्के रह गए।
सुना है कि मंत्रीजी के विभाग से जुड़ी एक बड़ी योजना की घोषणा मुख्यमंत्री ने कर दी, जिसकी उन्हें जानकारी मीडिया से मिली। इससे मंत्रीजी चौंक गए। इस पूरे वाकये पर एक मंत्री ने कहा- मुख्यमंत्री ने घोषणा करके मंत्रीजी को चौंकाया, बाद में मंत्रीजी ने हमें चौकाया। ‘शिव’ के सामने गंगा उल्टी बहते तो हमने पहली बार देखी।
दिल्ली से आया संदेश…
सत्ता पर संगठन की कसावट के चलते चले बैठकों के दौर के बीच कुछ घटनाएं इस तरफ इशारा कर रही हैं कि भाजपा के अंदरखाने में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसा पहली बार हुआ जब संगठन द्वारा विधायकों की बैठक करने का निर्णय करने से लेकर तारीख तय करने में ‘सरकार’ की अनदेखी गई। बैठक का एजेंडा तक गुप्त रखा गया। पार्टी नेताओं के बीच चर्चा है कि सत्ता ने भी अपनी ताकत का अहसास कराने में देर नहीं की, जिसका परिणाम यह हुआ कि विधायकों की बैठक का समय बदलना पड़ गया।
‘राज’ को राज रहने दो..
संगठन की सत्ता पर नकेल धीरे-धीरे कसना शुरू हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवकुमार ने विधायकों से वन-टू-वन कर मंत्रियों के कामकाज का फीडबैक लिया। इसके साथ ही सरकार की सोशल मीडिया टीम का पुनर्गठन कर दिया। अब यह काम पार्टी के कार्यकर्ता को सौंपा जा रहा है। नई व्यवस्था के तहत अब मंत्रियों का सोशल मीडिया कार्यकर्ता ही हैंडल करेंगे, लेकिन अधिकांश मंत्री इसके खिलाफ हैं पर सामने आकर विरोध नहीं कर सकते हैं। ऐसे में उन्होंने अपने रिश्तेदारों और करीबियों के नाम दे दिए हैं। एक मंत्री ने तो अपने भतीजे को कार्यकर्ता बताकर जिम्मेदारी सौंपने की सिफारिश कर दी। सुना है कि कोई भी मंत्री अपने करीब संगठन से जुड़े व्यक्ति को नहीं लाना चाहता। वे नहीं चाहते की कि अंदर की बात बाहर आए।
टीवी पर दिखने के चक्कर में फंस गए मंत्रीजी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। इसके बाद कांग्रेस के नेताओं की प्रतिक्रिया आना तत्काल शुरू हो गई थी, लेकिन बीजेपी नेता पार्टी से लाइन मिलने का इंतजार करने लगे। एक मंत्रीजी को इतनी जल्दी थी कि उन्होंने टीवी में दिखने के चक्कर में एक वीडियो बनाकर अपना बयान जारी कर दिया। चैनलों ने भी उनके बयान को प्राथमिकता से चलाया, क्योंकि भोपाल से लेकर दिल्ली तक कोई मंत्री-नेता अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था। ऐसे में मंत्रीजी को लगा कि वे बाजी मार ले गए। पता चला है कि अब मंत्रीजी को संगठन ने तलब कर लिया है। अभी देखना बाकी है कि मंत्रीजी अपने बचाव में क्या दलील देते हैं?
पढ़ने गए थे नमाज, रोजे गले पड़ गए..
एक सीनियर आईएएस अफसर मलाईदार विभाग की कमान चाहते थे। इसके लिए ‘सरकार’ तक फील्डिंग जमाई। एक कद्दावर नेता से सिफारिश भी कराई, लेकिन हाथ फिर भी खाली रहे। ऐसा नहीं है कि इस अफसर की पकड़ ‘सरकार’ में कमजोर है, लेकिन इस बार दांव फेल हो गया। अंदर की खबर यह है कि जिस अफसर को हटवाना चाहते थे, उनकी पकड़ ज्यादा मजबूत निकली। परिणाम यह हुआ कि उन्हें ऐसे विभाग की कमान सौंप दी गई है, जहां हमेशा मंत्री और विभाग के मुखिया की खटपट चर्चा में रहती है।
और.. अंत में
बीजेपी में आया कांग्रेसी कल्चर
कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में आए नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है। ये नेता अपने साथ समर्थक भी लाए। जिन्हें पार्टी विचारधारा से अवगत कराने के साथ-साथ काम करने के तौर-तरीके भी समझा रही है। ऐसा लगता है कि 15 महीने में वे पार्टी की कार्य पद्धति को अपना नहीं पाए हैं। यह देखने को मिला भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जब भाषण दे रहे थे, तब उनके एक समर्थक ने इसे सोशल मीडिया पर लाइव कर दिया। ऐसा शायद पहली बार हुआ। इसको लेकर बीजेपी की मूल विचारधारा वाले एक नेता ने कहा- वे हमारी कार्यपद्धति को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, बल्कि अब बीजेपी में कांग्रेसी कल्चर जरूर फैला देंगे।