नुसरत भरुचा ने कहा, ’15 साल लगें पर मुझे एक्टिंग ही करनी है’
नुसरत भरुचा अपनी अपकमिंग फिल्म “छोरी’ से दर्शकों को डराने आ रही हैं। यह 26 नवंबर को ओटीटी पर रिलीज होगी। दैनिक भास्कर से हुई इस बातचीत में नुसरत ने फिल्म और कॅरिअर से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब दिए…
रोमांटिक फिल्में करते करते अचानक से क्यों डराने लगे?
अब फिल्में तो हर जोनर की बनती हैं और हम देखते भी हैं। बतौर ऑडियंस मुझे खुद भी हर जोनर की फिल्में देखनी होती है। अगर कुछ नया है तो सबसे पहले मुझे देखना है तो वही सोचते हुए कुछ नया कर लिया।”
‘छोरी’ की कहानी क्या है?
यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जो 8 महीने प्रेग्नेंट है। कुछ वजहों से वो ऐसी जगह पहुंच जाती है जहां कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले तो उसे लगता है कि ये भ्रम है पर बाद में पता चलता है कि ऐसा सच में हो रहा है। यह एक मां की सर्वाइवल स्टोरी है। यह मराठी फिल्म की रीमेक है।
शूटिंग से पहले ओरिजनल फिल्म देखी थी?
तैयारी तो की थी पर मैंने ओरिजनल फिल्म नहीं दिखी क्योंकि मैं अगर वो देखती तो मैं ओरिजनल फिल्म की एक्ट्रेस के एक्सप्रेशंस देखकर अटक जाती। फिर मैं भी वैसा ही करने की कोशिश करती। मुझे अपना माइंड क्लीन रखना था ताकि अपना खुद का इमेजिन कर पाऊं और कहानी को नए तरीके से पेश कर पाऊं।
आपने बायोबबल में इस फिल्म की शूटिंग की? वो एक्सपीरियंस कैसा रहा?
इस एक्सपीरियंस से पहले लॉकडाउन ने हमें अकेले रहने की ट्रेनिंग दे ही दी थी। घर पर तो मैं सिर्फ चार लोगों के साथ रह रही थी और फिर जब “छोरी’ के सेट पर पहुंची तो इतने सारे लोगों को अचानक अपने आस पास पीपीई किट और मास्क में देखना थोड़ा डरावना था। मुझे आज तक नहीं पता कि मेरे क्रू मेंबर्स कौन थे क्योंकि मैंने उनकी शक्ल ही नहीं देखी। ये हम सभी के लिए थोड़ा अजीब था पर प्रोडक्शन की तैयारियां देखकर सारा डर निकल गया। इसके अलावा बस रात के शूट में काफी दिक्कत होती थी क्योंकि मुझे ठंड से बहुत दिक्कत होती है और हम खुले खेत और मैदान में शूट करते थे।
यह फिल्म पूरी तरह से आपके कंधों पर सवार है। इस जिम्मेदारी के साथ कैसा महसूस किया?
कई बार एक फिल्म की जिम्मेदारी एक एक्टर या एक्ट्रेस के कंधे पर होती है पर इस फिल्म में कंधे बंटे हुए हैं। एक मेरा है, एक डायरेक्टर का है, एक प्रोड्यूसर का है। इस तरह से हम सभी ने अपने काम को बांटा और सभी ने अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाई। हम सभी अगर एक साथ एक ही विजन के साथ नहीं आते तो यह फिल्म बनती ही नहीं।
आपने कॅरिअर में बडी ही चुनिंदा फिल्में की हैं। क्या वजह है?
ऐसा कुछ नहीं है कि मैं स्क्रिप्ट को लेकर चूजी हूं। पहले मुझे साल की एक-दो ही फिल्में ऑफर होती थीं तो उतनी ही करती थी पर अब साल में 4 से 5 फिल्में ऑफर हो रही हैं तो उतना कर लेती हूं। बाकी अब हम सभी को इतना जबरदस्त कंटेट ऑफर किया जा रहा है कि हम किसी फिल्म को मना ही नहीं कर पाते। बाकी अब उस स्टेज पर पहुंच चुकी हूं कि कभी कोई फिल्म नहीं कर पाऊं तो उसका रीजन ये नहीं होता कि मुझे स्क्रिप्ट पसंद नहीं आई। बल्कि उसका कारण ये होता है कि मेरे पास डेट्स ही नहीं हैं।”
छोरी’ के बाद “जनहित में जारी’ आ रही है। इस तरह की वुमन सेंट्रिक फिल्में पहले क्यों नहीं कीं?
अब तक मुझे इस तरह की फिल्में ऑफर ही नहीं हो रही थीं। अब ऑफर हुई हैं तो मैंने तुरंत हां कर दी। आगे भी मिलेंगी तो जरूर करूंगी।”
रामसेतु’ में अक्षय के साथ काम कर रही हैं। वो एक्सपीरियंस कैसा है?
अक्षय सर के साथ काम करना इतना मजेदार है कि क्या ही बताऊं। वो सेट पर हर किसी को इतना खुश रखते हैं कि आप हर दूसरे दिन सेट पर जाने के लिए रेडी रहते हैं। उनके साथ बड़े से बड़ा इंटेंस सीन भी आसानी से हो जाता है।
टीवी शोज से फिल्मों तक के सफर में कई बार लो मोमेंट्स आए होंगे। उनसे किस तरह डील करती हैं?
कोई फिक्स पैटर्न या टेक्नीक नहीं होती इस तरह की फीलिंग से बाहर आने की। एक वक्त था जब मैं दो साल तक लो थी और मुझे पता भी नहीं था कि इससे उबरने में दो साल लग जाएंगे। सच कहूं तो कहीं न कहीं बस यह आवाज आती रहती थी कि मैं बस उस जगह पहुंच गई हूं जहां मुझे पहुंचना है। इसके अलावा मैंने बहुत पहले ही ये एक्सेप्ट कर लिया था कि मुझे भले ही 15 साल लग जाएं इस इंडस्ट्री में जमने में, मैं इंतजार करूंगी क्योंकि मुझे सिर्फ यही करना है।