चुनाव में तो पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते नहीं, तो कौन करता है कीमत तय-बाजार या सरकार?
केंद्र सरकार ने 3 नवंबर को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने की घोषणा की थी। अगले ही दिन देशभर में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आई और कई राज्यों ने भी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम किया। केंद्र सरकार के इस फैसले के 1 दिन पहले ही 14 राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजे आए थे।
वैट और टैक्स में कटौती के बाद से ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई। विपक्षी पार्टियों ने कहा कि ये उपचुनाव नतीजों का असर है। केंद्र सरकार पर इससे पहले भी ये आरोप लगते रहे हैं, लेकिन सरकार हमेशा इन आरोपों को नकारती रही है। सरकार का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करने में उसका कोई रोल नहीं है। ऑइल मार्केटिंग कंपनियां ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें निर्धारित करती हैं।
सरकार और विपक्ष के अपने-अपने दावे को समझने के लिए हमने पिछले कुछ चुनावों को एनालाइज कर ये पता करने की कोशिश की है कि चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और चुनावी नतीजों के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में क्या ट्रेंड रहा है।