- भारत में ‘फेकबुक’ की शक्ल ले चुका फेसबुक
नई दिल्ली। फेसबुक ने भले ही अपना नया नामकरण (मेटा) कर लिया हो, लेकिन उससे जुड़ी कंट्रोवर्सी खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। कंपनी के दामन में पहले से ही फेक न्यूज, हेट स्पीच, भड़काऊ कंटेंट जैसे कई दाग लग चुके हैं। अब फेसबुक से जुड़ी एक नई रिसर्च आई है जिसमें कहा गया है कि कंपनी ने कोविड-19 महामारी और वैक्सीनेशन से जुड़ी कई फेक प्रोफाइल को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर प्रमोट किया। इसके चलते बीते साल इन प्रोफाइल के 370,000 फॉलोअर्स बन गए।
फेसबुक से जुड़ी इस रिसर्च को न्यूजगार्ड ने किया है। ये ऐसा ऑर्गनाइजेशन है जो इंटरनेट पर आने वाले फेक न्यूज, हेट स्पीच, भड़काऊ कंटेंट पर नजर रखता है। ये 20 अकाउंट, पेज और ग्रुप को ट्रैक कर रहा था।
रिसर्च में कई खुलासे हुए
फेसबुक ने अपने अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर जिन ग्रुप को बढ़ावा दिया उनमें एक्सपेरिमेंट के नाम पर बच्चों की हत्या करने की बात की जा रही थी। इंस्टाग्राम पर एंड्रयू वेकफील्ड की एक डॉक्युमेंट्री को प्रमोट किया गया, जिसमें MMR टीकाकरण और ऑटिज्म से जुड़े फेक कंटेंट को बढ़ावा दिया गया। इस फेक कंटेंट से लोगों में वैक्सीन के प्रति गलत सोच पैदा हुई।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के निवेदन पर न्यूजगार्ड पिछले साल सितंबर से ही WHO को लगातार अलर्ट कर रहा है। उसने ऐसी सोशल मीडिया साइट्स और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म को हाइलाइट किया, जो कोविड-19 से जुड़ी गलत जानकारी को बढ़ावा दे रहे थे।
इस मामले में 14 अमेरिकी राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने अक्टूबर में फेसबुक के CEO मार्क जुकरबर्ग को एक लेटर जारी किया था। इसमें उनसे पूछा गया कि क्या वैक्सीनेशन से जुड़ी गलत सूचना को अपने प्लेटफॉर्म पर बढ़ावा देने स्पेशल ट्रीटमेंट किया जा रहा है।
फेसबुक व्हिसलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन लगातार उससे जुड़े कई खुलासे कर रही हैं। उन्होंने ये भी बताया कि कैसे फेसबुक अपने फायदे के लिए ऐसे कंटेंट को बढ़ावा देता है जिससे हिंसा फैलती है।
फेसबुक के ट्रेड टूल से हो रही ह्यूमन ट्रैफिकिंग
हौगेन ने सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को दिए बयान में नया खुलासा करते हुए कहा कि यदि आप आज भी फेसबुक पर अरबी में ‘खादीमा’ या ‘मेड्स’ सर्च करते हैं तो अफ्रीकियों और दक्षिण एशियाई महिलाओं की उम्र और उनकी फोटोज कीमत के साथ लिस्टेड रहती हैं। इन्हें कोई भी यूजर्स अपने पसंद के हिसाब से हायर कर सकता है। एसोसिएटेड प्रेस को फेसबुक ने बताया है कि मिडिल ईस्ट में विदेशी मजदूरों के साथ शोषण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हम इस समस्या को गंभीरता से ले रहे हैं। हम अपने प्लेटफॉर्म पर मानव तस्करी की समस्या से कई साल से जूझ रहे हैं।
हाल में फेसबुक से जुड़े विवाद
- टाइम मैगजीन ने कवर पर लिखा डिलीट फेसबुक
एक अन्य खुलासे में फ्रांसेस हौगेन ने फेसबुक पर आरोप लगाया था कि उसके प्रोडक्ट बच्चों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके बाद टाइम मैगजीन ने भी जुकरबर्ग को निशाने पर लिया था। फेसबुक का विरोध करते हुए मैगजीन ने अपने कवर पर जुकरबर्ग का फोटो लगाकर ‘डिलीट फेसबुक’ के टेक्स्ट के साथ ‘कैंसिल या डिलीट’ के ऑप्शन को छापा था। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।
- भारत में ‘फेकबुक’ की शक्ल ले चुका फेसबुक
हौगेन ने एक दूसरे खुलासे में बताया है कि भारत में यह प्लेटफॉर्म ‘फेकबुक’ (फर्जी सामग्री की पुस्तक) की शक्ल लेता जा रहा है। इस समूह में ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ भी शामिल है। इसके लिए हौगेन ने इन रिपोर्टों-अध्ययनों के दस्तावेज जुटाए हैं। इनके आधार पर वे लगातार फेसबुक की कार्य-संस्कृति, अंदरूनी खामियों आदि से जुड़े खुलासे कर रही हैं। उनके द्वारा सार्वजनिक किए गए ‘फेसबुक पेपर्स’ के मुताबिक भारत में फर्जी अकाउंट्स से झूठी खबरों के जरिए चुनावों को प्रभावित किया जा रहा है।