संतान की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए इस दिन की जाता है देवी पार्वती की पूजा
संतान की अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए अहोई अष्टमी व्रत 28 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है। महिलाएं सूरज उगने से पहले नहाकर व्रत का संकल्प लेती हैं। इसके बाद पूरे दिन व्रत रखकर शाम को सूर्यास्त के बाद माता की पूजा करती हैं। इसके बाद व्रत पूरा करती हैं। ये व्रत संतान की अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इस दिन देवी पार्वती की पूजा करने से अखंड सुहाग का आशीर्वाद भी मिलता है।
अहोई का मतलब अनहोनी को होनी बनाना
अहोई का अर्थ होता है अनहोनी को होनी बनाना। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। इस अष्टमी का व्रत दिनभर निर्जल रहकर यानी बिना कुछ खाए-पिए किया जाता है। अहोई माता का पूजन करने के लिए महिलाएं तड़के उठकर मंदिर में जाती हैं और वहीं पूजा के साथ व्रत शुरू होता है और शाम को पूजा के बाद कथा सुनकर व्रत पूरा किया जाता है। कई जगह ये व्रत चंद्र दर्शन के बाद भी खोला जाता है।
तारे निकलने के बाद शुरू होती है पूजा
इस दिन महिलाएं शाम को दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाती हैं और उसके आसपास सेई व सेई के बच्चे भी बनाती हैं। कुछ लोग बाजार में कागज के अहोई माता के रंगीन चित्र लाकर उनकी पूजा भी करते हैं। कुछ महिलाएं पूजा के लिए चांदी की एक अहोई भी बनाती हैं, जिसे स्याऊ कहते हैं और उसमें चांदी के दो मोती डालकर विशेष पूजन किया जाता है।
तारे निकलने के बाद अहोई माता की पूजा शुरू होती है। पूजन से पहले जमीन को साफ करके, पूजा का चौक पूरकर, एक लोटे में जल भरकर उसे कलश की तरह चौकी के एक कोने पर रखते हैं और फिर पूजा करते हैं। इसके बाद अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनी जाती है।
चंद्र दर्शन के बाद पूरा होता है व्रत
अहोई अष्टमी पर माताएं अपने बच्चों के कल्याण के लिए अहोई माता की पूजा और व्रत करती हैं। माताएं, बहुत उत्साह से अहोई माता की पूजा करती हैं तथा अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और मंगलमय जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। चंद्रमा के दर्शन करके पूजन के बाद ये व्रत पूरा किया जाता है। जिन लोगों को संतान प्राप्ति में परेशानी आ रही है, उन लोगों के लिए ये व्रत बहुत खास माना जाता है।
कृष्णाष्टमी भी कहते हैं इसे
इस दिन को कृष्णा अष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन मथुरा के राधा कुंड में कई लोग तीर्थ स्नान के लिए आते हैं। ये व्रत खासतौर से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश में ये व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार अष्टमी तिथि दो दिन होने से 29 अक्टूबर को ये व्रत किया जाएगा।