इमरान के सांसद ने सिंधु जल संकट को वाटर-बम बताया
इस्लामाबाद। सैयद अली जफर इमरान खान की पार्टी के मेंबर हैं। वे जिस वक्त संसद में भाषण दे रहे थे उनके पीछे जेल में बंद इमरान खान की तस्वीर रखी हुई थी।
पाकिस्तानी सांसद सैयद अली जफर ने सिंधु जल संकट को बताया वाटर बम बताया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वो जल्द से जल्द से संकट से बाहर निकलने के लिए कोई कदम उठाए।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से सांसद अली जफर ने शुक्रवार को पाकिस्तान संसद में कहा कि हमारा हर 10 में से 9 आदमी इसी पर नदी पर निर्भर है। हमारी 90% फसलों को इसी नदी से पानी मिलता है।
उन्होंने कहा- अगर हम इस जल संकट को अभी नहीं सुलझाते, तो हम भूख से मर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि सिंधु बेसिन हमारी लाइफ लाइन है। हमारा तीन-चौथाई पानी देश के बाहर से आता है।
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता की सिंधु जल संधि पर भारत को धमकी दी
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता अहमद शरीफ चौधरी ने भारत को धमकी भरा बयान दिया है। शरीफ ने एक बयान में कहा, अगर तुम (भारत) हमारा पानी बंद करोगे, तो हम तुम्हारी सांसें बंद कर देंगे।
चौधरी ने कहा भारत सोचता है कि वह पाकिस्तान का पानी रोक देगा। यह एक पागलपन से भरी सोच है। 24 करोड़ लोगों का पानी रोकना संभव ही नहीं है।
प्रवक्ता चौधरी ने यह बयान पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय में भाषण के दौरान की। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो गया है। हालांकि, यह वीडियो किस कार्यक्रम और जगह का है, इसकी फिलहाल जानकारी नहीं है।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने रोका था सिंधु जल समझौता
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में 5 आतंकियों ने 26 टूरिस्ट्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके अगले दिन PM नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने 5 बड़े फैसले लिए थे।
इसमें 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को रोका गया था। अटारी चेक पोस्ट बंद कर दिया गया था। वीजा बंद कर दिया गया और उच्चायुक्तों को हटा दिया था।
भारत-पाकिस्तान के बीच का सिंधु जल समझौता क्या है?
सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां हैं- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इनके किनारे का इलाका करीब 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 47% जमीन पाकिस्तान, 39% जमीन भारत, 8% जमीन चीन और 6% जमीन अफगानिस्तान में है। इन सभी देशों के करीब 30 करोड़ लोग इन इलाकों में रहते हैं।
1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से ही भारत के पंजाब और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का झगड़ा शुरू हो गया था। 1947 में भारत और पाक के इंजीनियरों के बीच ‘स्टैंडस्टिल समझौता’ हुआ। इसके तहत दो मुख्य नहरों से पाकिस्तान को पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक चला।
1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन पर खेती बर्बाद हो गई। दोबारा हुए समझौते में भारत पानी देने को राजी हो गया।
इसके बाद 1951 से लेकर 1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत पाकिस्तान में पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत चली और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के PM नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच दस्तखत हुए। इसे इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि कहा जाता है।
सिंधु जल समझौता स्थगित करने से पाकिस्तान पर असर
पाकिस्तान में खेती की 90% जमीन यानी 4.7 करोड़ एकड़ एरिया में सिंचाई के लिए पानी सिंधु नदी प्रणाली से मिलता है। पाकिस्तान की नेशनल इनकम में एग्रीकल्चर सेक्टर की हिस्सेदारी 23% है और इससे 68% ग्रामीण पाकिस्तानियों की जीविका चलती है। ऐसे में पाकिस्तान में आम लोगों के साथ-साथ वहां की बेहाल अर्थव्यवस्था और बदतर हो सकती है
पाकिस्तान के मंगल और तारबेला हाइड्रोपावर डैम को पानी नहीं मिल पाएगा। इससे पाकिस्तान के बिजली उत्पादन में 30% से 50% तक की कमी आ सकती है। साथ ही औद्योगिक उत्पादन और रोजगार पर असर पड़ेगा।