देवी-देवताओं से जुड़ी मान्यताएं:33 करोड़ नहीं 33 प्रकार के हैं देवता
एक मान्यता प्रचलित है कि हिन्दू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी-देवता माने हैं, जबकि ये बात सही नहीं है। हिन्दु धर्म में 33 करोड़ नहीं 33 कोटि यानी 33 प्रकार के देवता हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, हिन्दू धर्मग्रंथों में 33 करोड़ नहीं, बल्कि 33 कोटि देवताओं का जिक्र है। यहां कोटि शब्द का अर्थ करोड़ नहीं, बल्कि प्रकार या श्रेणी है। संस्कृत शब्द कोटि के दो अर्थ हैं — करोड़ और प्रकार। इसी वजह से शब्द का गलत अनुवाद करके लोगों ने यह समझ लिया कि हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवता हैं।
ग्रंथों में 33 देवताओं के बारे में लिखा है। ये 33 देवता अलग-अलग कोटियों या श्रेणियों में बताए हैं-
आठ वसु (अष्ट वसु)
ग्यारह रुद्र (एकादश रुद्र)
बारह आदित्य
इंद्र
प्रजापति
इनकी कुल संख्या मिलाकर 33 होती है। कुछ ग्रंथों में इंद्र और प्रजापति के स्थान पर अश्विनी कुमारों को शामिल किया गया है, जो आयुर्वेद और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं।
अष्ट वसु (8 वसु): वसु शब्द का अर्थ है — जो सृष्टि में विद्यमान और उसे चलाने वाले तत्त्व हैं। ये हैं: आप (जल), ध्रुव (ध्रुव तारा या स्थिरता का प्रतीक), सोम (चंद्रमा), धर (पृथ्वी), अनिल (वायु), अनल (अग्नि), प्रत्यूष (प्रात: काल), प्रभास (प्रकाश)
एकादश रुद्र (11 रुद्र): रुद्र शिव के स्वरूप माने जाते हैं, जो सृजन, संहार और परिवर्तन के प्रतीक हैं: मनु, मन्यु, शिव, महत, ऋतुध्वज, महिनस, उम्रतेरस, काल, वामदेव, भव, धृतध्वज
द्वादश आदित्य (12 आदित्य): आदित्य सूर्य के विभिन्न रूप हैं, जो वर्ष के बारह महीनों से भी जुड़े हुए माने जाते हैं- अंशुमान, आर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, वैवस्वत, विष्णु
इंद्र और प्रजापति या अश्विनी कुमार)
इंद्र देवताओं के राजा माने जाते हैं, जो मेघ, वर्षा और युद्ध के देवता हैं। प्रजापति ब्रह्मा का एक रूप माने जाते हैं, जो सृष्टि के रचयिता हैं।
कई शास्त्रों में इनके स्थान पर अश्विनी कुमारों को 33 कोटि देवताओं में शामिल किया गया है। ये दोनों जुड़वां देवता हैं और आयुर्वेद से जुड़े हैं।