प्रज्ञा ठाकुर की जमानत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई रुकी
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने 2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई खत्म कर दी है। यह याचिका पीड़ितों में से एक के पिता निसार अहमद ने 2017 में दायर की थी। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के प्रज्ञा ठाकुर को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग की थी।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट ने बताया कि अब एनआईए कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर आगे सुनवाई न करे। कोर्ट ने यह तर्क मान लिया और कहा कि जब ट्रायल कोर्ट में फैसला जल्द आने वाला है, तब इस याचिका पर आगे विचार करने की जरूरत नहीं है।
एनआईए कोर्ट ने 19 अप्रैल को मालेगांव विस्फोट मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। इस विस्फोट में 7 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। मामले में करीब 108 गवाहों से पूछताछ की गई।
8 मई को फैसला आ सकता है
प्रज्ञा ठाकुर की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि 8 मई को फैसला सुनाया जा सकता है और सभी आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा गया है।
इस बीच, जिस जज ए.के. लाहोटी की बेंच में यह मामला चल रहा है, उनका तबादला प्रस्तावित है, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें 31 अगस्त तक वहीं बने रहने की अनुमति दी है, ताकि वे फैसला सुना सकें।
मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी हैं प्रज्ञा ठाकुर
भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी हैं। 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
2017 में प्रज्ञा समेत सातों आरोपियों को जमानत मिली
अप्रैल 2017 बॉम्बे हाईकोर्ट ने सातों आरोपियों को जमानत दे दी थी। इस दौरान प्रज्ञा को पांच लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी गई थी। तब कोर्ट ने कहा था कि साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। कोर्ट ने यह भी कहा था कि साध्वी प्रज्ञा एक महिला हैं और आठ साल से ज्यादा समय से जेल में हैं। उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है और वो कमजोर हो गई हैं, बिना सहारे चलने में भी लाचार हैं।