खरमास हुआ खत्म:सूर्य का मेष राशि में प्रवेश

खरमास हुआ खत्म:सूर्य का मेष राशि में प्रवेश

आज (14 अप्रैल) सूर्य ने मेष राशि में प्रवेश किया है। ये ग्रह 14 मई तक इसी राशि में रहेगा। ज्योतिष के साथ ही धर्म के नजरिए से भी सूर्य के राशि परिवर्तन का महत्व काफी अधिक है। सूर्य जब राशि बदलता है तो इसे संक्रमण यानी संक्रांति कहते हैं। संक्रांति का नाम सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है, उस राशि से तय होता है।

मीन राशि से निकलकर सूर्य मेष राशि में आ रहा है, इसके साथ ही खरमास खत्म हो जाएगा। अब विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ जैसे मांगलिक संस्कारों के लिए शुभ मुहूर्त मिलने लगेंगे।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, मेष संक्रांति पर नदी स्नान, पूजा-पाठ, सूर्य को अर्घ्य, दान-पुण्य करने की परंपरा है। जब सूर्य मीन राशि को छोड़कर मेष राशि में प्रवेश करता है तो ये खगोलीय घटना केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मेष संक्रांति का उल्लेख ज्योतिषीय ग्रंथों और पुराणों में भी मिलता है। सूर्य सिद्धांत, भविष्य पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण जैसे ग्रंथों में संक्रांतियों के बारे में बताया गया है। संक्रांति को संक्रमण काल कहा गया है, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है।

शास्त्रों के अनुसार मेष संक्रांति पर स्नान, दान, जप और तप का अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन खासतौर पर तिल, गुड़, वस्त्र, और जल का दान करना चाहिए। अभी गर्मी का समय है तो किसी सार्वजनिक जगह पर प्याऊ लगवा सकते हैं। ये संभव न हो तो किसी प्याऊ में मटके का दान कर सकते हैं।

जानिए मेष संक्रांति पर कौन-कौन से शुभ काम करें…

इस दिन विशेष रूप से जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, शिप्रा, नर्मदा और कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, फूल, चावल और कुमकुम भी डालें, इसके बाद सूर्य मंत्र और गायत्री मंत्र जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
मेष संक्रांति पर सूर्यदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए। पूजा में आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी करें।
संक्रांति पर स्नान के बाद पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि शुभ काम भी करना चाहिए। दोपहर में गाय के गोबर से बना कंडा (उपला) जलाएं और जब उससे धुआं निकलना बंद हो जाए, तब उस पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी अर्पित करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर पितरों को जल अर्पित करें।
इस दिन स्नान के बाद पूजा-पाठ करें और फिर जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, छाता, गुड़, गेहूं दान करें।
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है, उन्हें संक्रांति पर सूर्य देव के लिए पूजा-पाठ जरूर करना चाहिए। सूर्य नौ ग्रहों का राजा है और इस वजह से सूर्य देव की कृपा से कुंडली के कई दोष शांत हो सकते हैं और कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।

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