बच्ची का नाम रखा बैतूल:प्रसव के दूसरे ही दिन पहुंची थी एग्जाम सेंटर

बच्ची का नाम रखा बैतूल:प्रसव के दूसरे ही दिन पहुंची थी एग्जाम सेंटर
बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिला अस्पताल में जन्मी बालिका का नाम ही शहर यानी बैतूल के नाम पर रखने का दिलचस्प मामला सामने आया है। बच्ची की मां ने बेटी का नाम बैतूल कुमारी रखा है। वह मूलत: उत्तरप्रदेश के आगरा जिले की रहने वाली है। असल में, जिन हालातों में बच्ची पैदा हुई, उसकी मां ने जिस तरह हौसला दिखाया, उसका हर कोई सम्मान कर रहा है। जानते हैं बच्ची के दिलचस्प नाम की कहानी…
मामला फरवरी 2021 का है। अब यह बैतूल कुमारी 9 महीने की हो गई है। बुधवार को लाडो फाउंडेशन की ओर से बच्ची की मां कुसमा का सम्मान किया गया। फाउंडेशन देश में बेटियों को बढ़ावा देने और पहचान दिलाने के लिए उनके नाम की नेम प्लेट भेंट करता है, जिसे बच्ची की घर के बाहर लगाया जाता है। बैतूल आने पर परिवार को फाउंडेशन के सदस्यों ने नाम पटि्टका भेंट की।
बैतूल नाम के पीछे की कहानी
बात 25 फरवरी की है। आगरा के लखनपुर की रहने वाली कुसमा ने मध्यप्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल के तहत नर्सिंग की परीक्षा का फॉर्म भरा था। उसका एग्जाम सेंटर बैतूल के राजा भोज कॉलेज ऑफ नर्सिंग में पड़ा। फॉर्म भरने के दौरान कुसमा गर्भवती थी। प्रसूति के लिए डॉक्टरों ने 4 मार्च की तारीख दी थी। यही वजह है कि वह बहन कविता के साथ परीक्षा देने बैतूल आ गई। वह 16 फरवरी को कुसमा बैतूल पहुंची। 17 को पहला पेपर दिया। 18 फरवरी को लेबर पेन शुरू हो गया। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां बालिका को जन्म दिया।
डिलीवरी के दूसरे दिन पहुंची पेपर देने
प्री मैच्योर डिलीवरी के कारण बालिका का वजन कम था। उसे जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया। कुसमा के पेपर बाकी थे। दोपहर बालिका को जन्म देने के बाद भी कुसमा ने हार नहीं मानी। उसने बेटी को अस्पताल में भर्ती किया और 19 को दूसरा पेपर देने पहुंच गई। यहां तक कि 20 फरवरी को भी तीसरा पेपर दिया। 24 को प्रैक्टिकल में भी शामिल हुई। इसके बाद उसने बेटी का नाम ही बैतूल रख लिया।
इसलिए रखा यह नाम
कुसमा के मुताबिक उसने बेटी का नाम इसलिए बैतूल रखा है कि जब वह बड़ी हो जाए, तो वह उसे बता सके कि किन हालातों में उसका जन्म हुआ है। कुसमा की बहन कविता के मुताबिक वह गर्व महसूस कर रही है कि बालिका का जन्म बैतूल में हुआ है। यही नहीं, प्रसूति के बावजूद उसकी बहन ने जिस तरह हौसला दिखाते हुए परीक्षा दी, वह हिम्मत वाला काम है।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अशोक वारंगा ने बताया कि जितने समय कुसमा परीक्षा देने गई, उसकी बालिका की एसएनसीयू में देखरेख की गई। यही वजह रही कि कुसमा को बैतूल पसंद आ गया। उसने स्मृति स्वरूप बच्ची का नाम बैतूल रख दिया। यह बैतूल वासियों के लिए गर्व की बात है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बिन्नू रानी बोली-बंगला कितनो बड़ौ है, दिग्गी ने कहा-सरकारी है     |     बीकॉम की छात्रा से रेप:मंगेतर ने शादी से इनकार किया, पीड़िता थाने पहुंची     |     इंदौर में नाबालिग बेटी दे पाएगी पिता को लिवर     |     अलका याग्निक को न्यूरो डिसीज, सुनाई देना बंद हुआ     |     मणिपुर में उपद्रवियों ने CRPF की बस में आग लगाई     |     हिंदुजा फैमिली पर घरेलू स्टाफ से क्रूरता के आरोप     |     गंभीर ने टीम इंडिया के कोच का इंटरव्यू दिया     |     ज्येष्ठ पूर्णिमा को सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने की है परंपरा     |     18 JUNE 2024     |     25 DEC 2024     |     *कुछ नहीं के बारे में बहुत कुछ!*     |     24 DEC 2024     |     23 DEC 2024     |     बुद्ध ने लोगों से कहा, जागो समय निकल रहा है     |     21 DEC 2024     |     20 DEC 2024     |     19 DEC 2024     |     18 DEC 2024     |     जेएच कॉलेज घोटाले में तीन पर एफआईआर     |