विनम्रता और शिष्टाचार से निखरता है जीवन, सूर्य से लेकर अपने हाथों तक को करते हैं नमन
हरिद्वार। शिष्टाचार और विनम्रता से हमारा व्यक्तित्व श्रेष्ठ बनता है। आप अपनी श्रेष्ठताओं को तभी उजागर कर पाएंगे, जब आप में अभिवादन, शिष्टाचार, प्रणाम की भावना, विनम्रता के साथ झुकना और दूसरों को आदर देना आ गया है। ये छोटी-छोटी बातें हमारे भीतर की श्रेष्ठताओं को जागृत करती हैं। हमारी संस्कृति प्रणाम की संस्कृति है, हम प्राय: सभी को प्रणाम करते हैं। हम सुबह उठकर धरती को प्रणाम करते हैं, दिशाओं को, वृक्षों को, सूर्य और चंद्र को और अपने हाथों को प्रणाम करना हम कभी नहीं भूलते। हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए किन गुणों की वजह से हम आगे बढ़ते हैं?
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