पारंपरिक ग्राम सभा ने कलेक्टर सहित 29 को भेजा नोटिस:, कलेक्टर बोले – नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं
बैतूल। बैतूल में एक पारंपरिक ग्रामसभा ने जमीन विवाद के मामले में कलेक्टर, आदिम जाति कल्याण विभाग समेत 29 लोगों को नोटिश भेजकर जवाब-तलब किया है। दावा है कि पारंपरिक ग्राम सभा ने यह नोटिस अपनी रूढिजन्य परंपरा संहिता के तहत जारी किया है। कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस ने नोटिस को अनाधिकृत बताया है। भास्कर से चर्चा में उन्होंने कहा – उन्हें नोटिस जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। उसका कोई जवाब नहीं दिया जाएगा। प्रशासकीय नियमों का पालन करके जो कार्यवाहियां कर रहे हैं, वह जारी रहेगी। उन्होंने कहा – नोटिस मेरे नहीं कलेक्टर आदिम जाति कल्याण के नाम पर है।
भीमपुर के बेहड़ा ढाना में आयोजित की गई पारंपरिक ग्राम सभा के उप मुकद्दम मोतीलाल के हस्ताक्षर से जारी नोटिश में पांच आदिवासियों की जमीन पर किए गए कब्जे को लेकर 23 अक्टूबर तक दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया है। बताया जा रहा है कि आदिवासियों के पूर्वजों ने 1960 में आदिवासी विकास विभाग को स्कूल बनाने जमीन दान की थी। लेकिन उस पर स्कूल के अलावा अन्य भवन बना दिए गए और पंचायत ने उसके पट्टे बांट दिए। गौरतलब है कि पिछले 5 जुलाई को भी ऐसी ही सेहरा गांव की पारंपरिक ग्रामसभा ने कलेक्टर को पत्र भेजकर एक आदिवासी विधवा को 25 लाख का मुआवजा देने का आदेश किया था। लेकिन प्रशासन ने उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
यह है ताजा मामला
आदिवासी अंचल भीमपुर की पारंपरिक ग्राम सभा बेहड़ाढाना के उप मुकडदम और सचिव मोतीराम ने कलेक्टर को जारी किए नोटिस में लिखा है कि आवेदक चिक्कू पुत्र काडू कुमरे, संतोष पुत्र माडू कुमरे, रामप्रसाद पुत्र माडा कुमरे, मोतीराम पुत्र सुखराम कुमरे और परसराम पुत्र बिसराम कुमरे सभी निवासी भीमपुर ने पारंपरिक ग्राम सभा भीमपुर (बेहडाढाना) में भूमि संबंधित वाद प्रस्तुत किया है। इसमें कहा गया है कि आवेदकों के दादाजी स्व. कली पुत्र हिम्मत ने मौजा भीमपुर पटवारी हल्का नं. 39, बंदोबस्त नं. 540 में स्थित अपने पैतृक हक की भूमि खसरा नं. 192 में से 3.30 एकड़ भूमि जनजाति विधि विरुध अनावेदक कलेक्टर, आदिम जाति कल्याण विभाग को सौंपी गई थी। खसरा नं. 192 में 3.30 एकड़ भूमि लगभग 28 ग्रामीणों के अधिपत्य व कब्जे में है।
प्रस्तुत वाद पारंपरिक ग्राम सभा भीमपुर में विचारणीय है। इस मामले में पारंपरिक ग्राम सभा ने कलेक्टर सहित 29 ग्रामीणों से जवाब-तलब किया है कि भीमपुर खसरा नं. 192/1, 192/3 एवं 192/3 के अन्य भागों पर आप का कब्जा व अधिपत्य किस विधि अनुसार है। ग्राम सभा ने संबंधित दस्तावेज, लिखित तर्क के साथ 23 अक्टूबर 2021 तक कार्यालय में प्रस्तुत करने की बात कही है। इसके साथ ही संबंधित दस्तावेज एवं लिखित तर्क प्रस्तुत नहीं किए जाने पर एक पक्षीय कार्यवाही करने की चेतावनी दी गई है।
कलेक्टर के अलावा इन्हें भी भेजा नोटिस
पारंपरिक ग्राम सभा ने कलेक्टर आदिम जाति कल्याण विभाग के अलावा ग्रामीण आनंद पुत्र बाबूलाल आर्य, लब्बू सिंह पुत्र सायबू, सम्मल पुत्र डेबू, नाग्या पुत्र सोनू, सहदेव पुत्र भदवा, राजबाला पुत्र सहादेव, नितिन पुत्र जीवन, सबाना खान पति इतेखान, अरविंद पुत्र सोजीलाल, विजय पुत्र किशोरीलाल, अनिकेत पुत्र अजय, शेख बिस्मिला पुत्र शेख रसूल, सहदेव पुत्र तेजिलाल, जयसिंह पुत्र खड्डू, राकेश पुत्र लखनलाल, सुखनन्दन पुत्र सुखराम, रत्नेश पुत्र संतोष, राजकुमार पुत्र हुकुमचन्द्र, दिनेश पुत्र रामदीन, राजेश पुत्र सहदेव, प्रवीण पुत्र हुकुमचन्द, इत्तेखान पुत्र अहमद हुसैन, प्रभु पुत्र चिरोंजी, लपुखन पुत्र दुर्गाप्रसाद, ज्योति पति भद्रीप्रसाद यादव, शिवनारायण पुत्र मुन्ना, गणेश पुत्र रामप्यारे, बबलू पुत्र चैतराम को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया है।
आदेश में इन एक्ट और अनुच्छेद का उल्लेख
पिछले जुलाई में पारंपरिक ग्राम सभा ने जो आदेश जारी किया था। उसमें शेड्यूल डिस्ट्रिक्ट एक्ट 1874 भारत शासन अधिनियम -1935 भाग 91, 92, 311 भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 भाग 7 ( एबीसी ) भारतीय दंड संहिता 1860 धारा 5 भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1898/1973 अध्याय -1 पैरा -2 (ख) भारतीय संविधान अनुच्छेद-13 ( 3 ) क.भा.स. अनुच्छेद 372 भा.स. अनुच्छेद 244 (1) अनुसूचित क्षेत्रों के शासन प्रशासन एवं मध्यप्रदेश राज्य की अनुसूचित जन-जातियों की रूढिजन्य संहिता-1992 का उल्लेख किया गया था। यह भी नोटिस इसी संहिता के तहत दिया जाना बताया गया है।गोंगपा के जिलाध्यक्ष हेमंत सरेआम ने बताया कि वे भी इस ग्राम सभा मे मौजूद थे। जो नोटिस दिया गया है, वह इन रूढिजन्य परम्पराओं के आधार पर दिया गया है।
पारंपरिक ग्रामसभा का कोई प्रस्ताव लेना या नोटिस जारी करना सही
सहायक आयुक्त आदिवासी विकास शिल्पा जैन ने इस मामले में कहा कि प्रकरण में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। पूरे प्रकरण को जानने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। जबकि बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बीके पांडे मानते हैं कि किसी भी ग्रामसभा को वैसे ही कोई प्रस्ताव पास करने का अधिकार है। जैसे किसी विधानसभा या लोकसभा को अधिकार है। इस मामले में पारंपरिक ग्रामसभा का कोई प्रस्ताव लेना या नोटिस जारी करना सही है। उसे मानना न मानना जिला प्रशासन का नजरिया और अधिकार है।