इमरान खान सरकार को 6 बिलियन डॉलर लोन देने से इनकार
इस्लामाबाद/वॉशिंगटन। कर्ज के दलदल में डूब चुके पाकिस्तान के लिए आशा की आखिरी किरण भी दूर होती नजर आ रही है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने पाकिस्तान को 6 बिलियन डॉलर का लोन देने से इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं, IMF ने यह भी साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर की पहली किश्त भी नहीं दी जाएगी। IMF और पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर के बीच वॉशिंगटन में जारी बातचीत नाकाम हो गई है। इसकी पुष्टि पाकिस्तान के तमाम बड़े मीडिया हाउसेज ने की है। हालांकि इमरान खान सरकार की तरफ से अब तक इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया गया है।
गहरे दबाव में पाकिस्तान
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने रविवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि अमेरिका में वित्त मंत्री शौकत तरीक की टीम और IMF के बीच 11 दिनों तक चली बातचीत अब तक बेनतीजा रही है। इसके बाद यह मीटिंग औपचारिक तौर पर खत्म हो गई। यह मीटिंग 4 अक्टूबर को शुरू हुई थी और 15 अक्टूबर तक चली।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शौकत के वॉशिंगटन में रहने के दौरान ही पाकिस्तान सरकार ने एक बार फिर बिजली और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के रेट बढ़ा दिए। हालांकि IMF की टीम टैक्स कलेक्शन बढ़ाने पर भी जोर दे रही थी।
क्या मजबूरी?
IMF लगातार पाकिस्तान सरकार पर टैक्स कलेक्शन बढ़ाने पर जोर दे रहा है, लेकिन पाकिस्तान सरकार की मजबूरी ये है कि वो इस शर्त को नहीं मान सकती। अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तान मूल के बिजनेसमैन साजिद तराड़ ने पत्रकार आलिया शाह से कहा- इमरान टैक्स कलेक्शन बढ़ा ही नहीं सकते। इसकी वजह यह है कि मुल्क का हर बड़ा बिजनेसमैन करप्ट है और वो इमरान की हुकूमत का हिस्सा है। इमरान कोशिश भी करते हैं तो सरकार मिनटों में गिर जाएगी। इसलिए बिजली और पेट्रोलियम के रेट्स बढ़ाकर गरीब आदमी को ही टारगेट किया जा रहा है।
आगे भी होगी बातचीत
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार और IMF के बीच आगे भी बातचीत होगी। हालांकि इसके लिए कोई टाइमलाइन या एजेंडा सेट नहीं है। फाइनेंस मिनिस्टर पाकिस्तान लौटेंगे और यहां फिर लंबा विचार-विमर्श होगा। इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।
IMF का कहना है कि इमरान सरकार की नीतियां ही ऐसी हैं जिनसे टैक्स कलेक्शन नहीं बढ़ाया जा सकता और न ही इसका फायदा अर्थव्यवस्था को हो सकता। ऐसे में मुल्क की अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच चुकी है। अब तो उसे गारंटर भी नहीं मिल रहे। सऊदी अरब के बाद चीन ने भी लोन गारंटी देने से इनकार कर दिया है।
चार महीने और दो नाकामियां
चार महीने में पाकिस्तान सरकार और IMF के बीच दो बार बातचीत हो चुकी है और दोनों ही बार यह बातचीत नाकाम रही है। पहली बार यह बातचीत जून में हुई थी। तब भी पाकिस्तान सरकार ने बिजली के रेट बढ़ाए थे, लेकिन टैक्स कलेक्शन पर कोई जवाब नहीं दिया था।
इमरान की दिक्कत यह है कि अब जल्द ही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की मीटिंग होने वाली है। इसकी तारीख अभी तय नहीं है। अगर IMF लोन नहीं देता है और FATF भी शिकंजा कस देता है तो मुल्क का दिवालिया होना तय है। वैसे भी पाकिस्तान दुनिया के उन 10 देशों में शामिल हो चुका है, जिन पर सबसे ज्यादा विदेशी कर्ज हैं।