पंचदेवों में से एक हैं सूर्य देव:आज रात सूर्य बदलेगा राशि
आज (12 फरवरी) रात करीब 10 बजे सूर्य मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। जिस दिन सूर्य राशि बदलता है, उस दिन नदी स्नान, सूर्य पूजा और दान-पुण्य करने की परंपरा है। सूर्य आज रात राशि बदलेगा, इस कारण कल उदयातिथि में संक्रांति रहेगी। इस वजह से 13 तारीख को संक्रांति मनाना ज्यादा शुभ रहेगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, सूर्य ग्रह एक साल से सभी 12 राशियों का एक चक्कर पूरा कर लेता है, इस वजह से एक वर्ष में 12 संक्रांतियां आती हैं। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो इसे संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब जिस राशि में जाता है, तब उस राशि के नाम की संक्रांति मनाई जाती है। जैसे सूर्य मकर राशि में जाता है तो मकर संक्रांति और जब सूर्य कुंभ में प्रवेश करेगा तो कुंभ संक्रांति मनाई जाएगी। संक्रांति पर भगवान सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए।
पंचदेवों में से एक हैं सूर्य देव
शास्त्रों में पंचदेव बताए गए हैं, इनमें भगवान गणेश, शिव, विष्णु, देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं। सभी शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत इन पंचदेवों की पूजा के साथ ही होती है।
ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है। कुंडली में सूर्य की स्थिति महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस ग्रह के राशि परिवर्तन का सीधा असर सभी 12 राशियों पर होता है।
जिन लोगों के लिए सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है, उन लोगों को हर रविवार और संक्रांतियों पर सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए।
ये है सूर्य पूजा की सरल विधि
सूर्य पूजा के लिए तांबे की थाली और तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। थाली में लाल चंदन, लाल फूल और एक दीपक रखें।
तांबे लोटे में जल लेकर उसमें लाल चंदन मिलाएं, लाल फूल डालें। थाली में दीपक जलाएं और ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जप करते हुए उगते सूर्य को प्रणाम करें।
दोनों हाथों में लोटा पकड़ें और हाथों को ऊंचा उठाकर सूर्य देवता को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र का जप करते रहें।
इस प्रकार सूर्य को जल चढ़ाना अर्घ्य देना कहलाता है। ऊँ सूर्याय नमः अर्घ्यं समर्पयामि कहते हुए पूरा जल सूर्य को चढ़ाएं।
अर्घ्य देते समय हमें सूर्य को सीधे नहीं देखना चाहिए, बल्कि लोटे से गिरती जल की धारा में सूर्य देव के दर्शन करें।
जल चढ़ाने के बाद दीपक जलाकर सूर्य देव की आरती करें। पूजा में सूर्य के लिए सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा अपनी जगह पर खड़े-खड़े ही कर सकते हैं।
अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करनी चाहिए। आप चाहें तो सूर्य देव की प्रतिमा की भी पूजा इसी प्रकार कर सकते हैं।