दो दिन रहेगी मार्गशीर्ष मास की अमावस्या

दो दिन रहेगी मार्गशीर्ष मास की अमावस्या

अभी मार्गशीर्ष (अगहन) मास चल रहा है और इस मास की अमावस्या तिथियों की घट-बढ़ की वजह से दो दिन (30 नवंबर और 1 दिसंबर) रहेगी। अगहन मास की अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का विशेष महत्व है। दीपावली के बाद ये पहली अमावस्या रहती है, इसलिए इस दिन श्रद्धालु दान-पुण्य और नदी स्नान खासतौर पर करते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस बार अगहन मास की अमावस्या की तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं, क्योंकि ये तिथि 30 नवंबर और 1 दिसंबर यानी दो दिन रहेगी। अमावस्या की शुरुआत 30 नवंबर की सुबह करीब 9.30 बजे होगी, ये तिथि 1 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे तक रहेगी।

30 नवंबर की दोपहर में करें पितरों के लिए धूप-ध्यान

मार्गशीर्ष मास की अमावस्या 30 नवंबर की सुबह शुरू हो जाएगी। इसलिए इसी दिन पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करना ज्यादा श्रेष्ठ रहेगा। पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का ही माना जाता है, इसलिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि शुभ काम 30 तारीख की दोपहर में करें।

दोपहर करीब 12 बजे गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं, जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालें। पितरों का ध्यान करें और हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें।

1 दिसंबर को करें नदी स्नान और दान-पुण्य

1 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे तक मार्गशीर्ष मास की अमावस्या रहेगी, 30 नवंबर की सुबह अमावस्या तिथि नहीं रहेगी, इसलिए इस तिथि से जुड़ा नदी स्नान और दान-पुण्य 1 तारीख को कर सकते हैं।

इस तिथि पर गंगा, यमुना, शिप्रा, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। अगर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय पवित्र नदियों और तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।

मार्गशीर्ष अमावस्या से जुड़ी खास बातें

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों के लिए व्रत करने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इस व्रत से पितर देवता तृप्त होते हैं। पितरों की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए कुछ करना चाहते है, वे इस अमावस्या पर पिंडदान कर सकते हैं। इस माह की अमावस्या को उपवास रख, पूजन कार्य करना चाहिए।
मार्गशीर्ष को भगवान श्रीकृष्ण ने अपना ही स्वरूप बताया है, इसलिए इस मास की अमावस्या पर बाल गोपाल का विशेष अभिषेक करें।

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