विश्राम कर रहे भगवान विष्णु को मारना चाहता था मूर असुर, देवी एकादशी ने किया था मूर का वध
आज (26 नवंबर) अगहन मास (मार्गशीर्ष) के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। माना जाता है कि इस दिन देवी एकादशी प्रकट हुई थीं। इस तिथि पर देवी एकादशी उत्पन्न हुई थीं, इस कारण इसका नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा। आज भगवान विष्णु के लिए व्रत और विशेष पूजा करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस एकादशी की कथा मूर नाम के असुर से जुड़ी है। पुराने समय में मूर नाम का एक असुर था। तपस्या करके उसने वरदान हासिल कर लिया था और वह बहुत शक्तिशाली हो गया था। इंद्र और अन्य देवता भी उसे पराजित नहीं कर पा रहे थे। मूर ने देवताओं से स्वर्ग छीन लिया। मूर से त्रस्त होकर सभी देवता विष्णु जी के पास पहुंचे।
विष्णु जी ने देवताओं के दुख दूर करने मूरासुर से युद्ध किया। इन दोनों के बीच युद्ध काफी लंबे समय तक चला। मूर भी बहुत शक्तिशाली था, इस वजह से विष्णु जी भी उसे आसानी से पराजित नहीं कर पा रहे थे।
माना जाता है कि युद्ध की वजह से भगवान विष्णु थक चुके थे। थकान के बाद विष्णु युद्ध भूमि से दूर बद्रिकाश्रम की एक गुफा में विश्राम के लिए चले गए। विष्णु का पीछा करते हुए मूर दैत्य भी उस गुफा में पहुंच गया।
विश्राम कर रहे विष्णु पर मूर प्रहार करने ही वाला था, ठीक उसी समय वहां एक देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मूर का वध कर दिया। ये घटना अगहन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की मानी गई है।
जब भगवान विष्णु नींद से जागे तो उन्होंने देवी को देखा। देवी ने विष्णु को मूर वध के बारे में बताया। देवी की बातें सुनकर विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने देवी से वर मांगने के लिए कहा।
देवी ने वर मांगा कि आज के बाद जो व्यक्ति इस तिथि पर व्रत-उपवास करेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाए, ऐसा वर दीजिए। भगवान ने देवी की ये इच्छा पूरी करने का वरदान दे दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने उस देवी का नाम एकादशी रखा। इस तिथि पर एकादशी देवी उत्पन्न हुई थीं, इसीलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं।
एकादशी पर कर सकते हैं ये शुभ काम भी
इस दिन भगवान विष्णु मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए। भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। अभिषेक जल और दूध से करना चाहिए। दोनों देवी-देवताओं को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। तुलसी के पत्तों के साथ मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाएं। पूजा में भगवान के सामने एकादशी व्रत करने का संकल्प लें। जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें पूरे दिन निराहार रहना चाहिए, सुबह और शाम को विष्णु जी की विशेष पूजा करनी चाहिए। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर भी सुबह पूजा करें, पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और फिर खुद भोजन ग्रहण करें।
एकादशी पर शिव पूजा भी करें। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, हार-फूल, चंदन से श्रृंगार करें। किसी मंदिर में शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
बाल गोपाल का अभिषेक करें। तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें।
हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।