CM के इंग्लैंड, जर्मनी दौरे पर पीसीसी चीफ का तंज
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विदेशी निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए इंग्लैंड और जर्मनी के दौरे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तंज कसा है। साथ ही एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप और रतलाम कलेक्टर की कार्यशैली पर भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि किसानों, लाड़ली बहनों के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है और सरकारी पर्यटन के लिए इंग्लैंड, जर्मनी जा रहे हैं। वहीं इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बीच कई उद्योगों में ताला लगने की बात भी कांग्रेस की ओर से कही जा रही है। बीजेपी ने कांग्रेस के ट्वीट पर पलटवार किया है।
पीसीसी चीफ पटवारी बोले- कर्ज लेकर चल रही सरकार
पीसीसी चीफ ने एक्स पर लिखा- उज्जैन में महाकाल लोक के बाद बढ़े पर्यटन ने हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अंदर के पर्यटक को भी जगा दिया है। रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की असफलता से मन नहीं भरा, तो मोहन भैया अब विदेशी निवेशकों को न्यौता देने इंग्लैंड और जर्मनी जाने की तैयारी कर रहे हैं। कर्ज लेकर चल रही सरकार के पास किसानों और लाड़ली बहनों को देने के लिए पैसा नहीं है, लेकिन सरकारी पर्यटन की लग्ज़री में करोड़ों फूंका जा रहा है।
रतलाम कलेक्टर और एमएसएमई मंत्री को सिंघार ने घेरा
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक्स पर लिखा- मुख्यमंत्री ‘मौन यादव’ को जब इतिहास याद करेगा तो मध्यप्रदेश के सबसे विफल मुख्यमंत्री के रूप में याद करेगा। सिंघार के मुताबिक, इनकी सरकार जितने चाहे ‘मेगा बिजनेस कॉन्क्लेव’ आयोजित कर ले, जब तक ज़मीनी स्तर पर सुधार नहीं होंगे, प्रदेश में कोई निवेश नहीं आएगा। उन्होंने एमएसएमई मंत्री को घेरते हुए लिखा- क्या उद्योग मंत्री चैतन्य कश्यप और रतलाम कलेक्टर की कोई सांठगांठ है? या कोई और वजह है जिसके चलते ये मनमाने फैसले थोपे जा रहे हैं? उद्योगपति इतने हताश हो गए हैं कि वे अपने उद्योग बंद कर ताला लगा कर चाबी आपको देने का निर्णय कर रहे हैं।
‘सरकार युवाओं को मेगा ईवेंट्स का झुनझुना पकड़ा रही है’
सिंघार ने आगे लिखा- एक तरफ तो पूरे देश को अडाणी के हाथों में सौंप रखा है और दूसरी तरफ अन्य उद्योगपतियों की कोई फिक्र नहीं है तो ऐसे दिखावटी ‘इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव’ का तमाशा करने का कोई लाभ नहीं। सिंघार के अनुसार, युवा रोजगार मांगते हैं, लेकिन भाजपा सरकार उन्हें खोखले वादे और मेगा ईवेंट्स का झुनझुना पकड़ा रही है। यह दोहरे मापदंड आखिर कब तक चलेंगे?