बैतूल में धूमधाम से मनाया गोवर्धन पूजा पर्व

बैतूल में धूमधाम से मनाया गोवर्धन पूजा पर्व
बैतूल। बैतूल के यादव बाहुल्य इलाके गौली मोहल्ला क्षेत्र में शनिवार को गोवर्धन पूजा पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर यादव समाज के लोगों ने परम्परागत पूजा अर्चना की। बच्चों को गोबर से बने पर्वत में डालने की परम्परा भी निभाई गई।

मान्यता के अनुसार बच्चों को गोवर्धन में डालने से बच्चे साल भर तंदुरूस्त रहते है। जबकि डाॅक्टर इस परम्परा को जानलेवा करार दे रहे है। यह प्रक्रिया बैतूल के ग्वाल समाज बाहुल्य इलाकों में की जाती है।

लोगों कि मान्यता है कि जैसे भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठा कर ग्वालों कि रक्षा कि थी, तभी से गोवर्धन उनकी रक्षा करते है। इसी परंपरा को निभाते हुए बच्चों को गोबर से बने गोवर्धन पर्वत में डाला जाता है।

स्थानीय निवासी कैलाश यादव बताते है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिसके तहत गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पहले पूजा कर प्रसादी वितरण किया जाता है। उसके बाद बच्चों को निरोगी रखने के लिए उन्हें गोबर में डाला जाता है। इससे बच्चे साल भर रोग मुक्त रहते है।

ऐसे होती है तैयारी

वर्षों से चली आ रही इस परम्परा को निभाने के लिए कई दिनों से तैयारी शुरू हो जाती है। गोबर का पहाड़ बनाने के लिए ग्वाल समाज कि महिलाएं सभी घर से गोबर एकत्रित कर गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाती है। दीपावली के दूसरे दिन होने वाली इस पूजा में समाज के सभी लोग शामिल होकर पूरे विधि विधान से पूजा करते है।

इस दौरान भगवान कृष्ण की भक्ति में गीत गाए जाते है। सभी घरों से थालियों में खीर, पूड़ी की प्रसादी गोवर्धन पर्वत पर लाई जाकर पूजा-अर्चना कर भोग लगाया जाता है। थालियों में लाए गए दूध को गोबर के गोवर्धन पर सींच दिया जाता है। साथ ही पुड़ियों और खीर को पर्वत पर भोग लगा दिया जाता है।

जिसे पूजन के बाद लोग एकत्रित कर लेते है। गोबर से गोवर्धन पर्वत कि इस प्रतिकृति के पूजन के बाद उसमे छोटे बच्चो को डाला जाता है। युवक राम प्रसाद के मुताबिक बच्चो को गोबर में डालने से कभी कोई संक्रमण आज तक नहीं हुआ।

कुसुमलता यादव बताती है कि यह पुरानी परम्परा चली आ रही है। इसी कभी कोई समस्या सामने नहीं आई। इससे बच्चे स्वस्थ्य रहते है। डॉक्टर्स की राय इसे लेकर हमेशा से नेगेटिव रहती है।लेकिन इससे कोई नुकसान नही होता।

डॉक्टर बताते है जानलेवा

इधर बिलखते नौनिहालों को गोबर में फेंकने कि इस परम्परा को डाॅक्टर जानलेवा करार दे रहे है। डाॅक्टरो का कहना है कि जिस गोबर में बच्चो को फेंका जाता है वह कई दिनों तक इकट्ठा किये जाने कि वजह से बैक्टीरिया ग्रस्त हो जाता है। इस गोबर के संपर्क में आने से बच्चो को सांस सम्बन्धी बीमारियां, त्वचा संबंधी रोग, सेप्टिसीमिया जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन देशमुख ने बताया कि परम्पराओं का निर्वहन सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। क्योंकि, गोबर में फेंके जाने से बच्चो को गंभीर रोग भी हो सकते है। गोबर में पाया जाने वाला एक कीड़ा भी बच्चो को नुकसान पहुंचा सकता है। गोबर में डाले जाने के बाद बच्चो को साफ सुथरा किया जाना चाहिए। अन्यथा यह रोगों का कारण बन सकता है।

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