मोदी बोले- कांग्रेस को समझ आया, झूठे वादे आसान नहीं

मोदी बोले- कांग्रेस को समझ आया, झूठे वादे आसान नहीं
नई दिल्ली। मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनावी वादों पर दिए बयान पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पलटवार किया। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा- कांग्रेस को यह बात अब समझ में आ रही है कि झूठे वादे करना तो आसान है, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू करना मुश्किल या नामुमकिन है।

दरअसल 31 अक्टूबर को बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि, हमें वो वादे करने चाहिए, जो पूरे किए जा सके। नहीं तो आने वाली पीढ़ी के पास बदनामी के अलावा कुछ नहीं बचेगा।

मोदी ने लिखा- कांग्रेस शासित राज्यों में स्थिति बदतर
पीएम ने लिखा- कांग्रेस लगातार प्रचार अभियान चलाकर लोगों से वादे करती रहती है, जिन्हें वे कभी पूरा नहीं कर पाएंगे। अब वे लोगों के सामने पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं। आज कांग्रेस की सरकार वाले किसी भी राज्य को देख लीजिए – हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना – विकास की गति और वित्तीय सेहत बद से बदतर होती जा रही है।

उनकी तथाकथित गारंटी अधूरी पड़ी है, जो इन राज्यों के लोगों के साथ एक भयानक धोखा है। ऐसी राजनीति का शिकार गरीब, युवा, किसान और महिलाएं हैं, जिन्हें न केवल इन वादों का लाभ नहीं मिल रहा है, बल्कि उनकी मौजूदा योजनाएं भी कमजोर होती जा रही हैं।

पीएम ने लिखा- कांग्रेस अंदरूनी राजनीति और लूट में व्यस्त

पीएम ने आगे लिखा कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी विकास करने की बजाय पार्टी की अंदरूनी राजनीति और लूट में व्यस्त है। इतना ही नहीं, वे मौजूदा योजनाओं को भी वापस लेने जा रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जाता। तेलंगाना में किसान अपने वादे के मुताबिक कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं।

इससे पहले छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उन्होंने कुछ ऐसे भत्ते देने का वादा किया था जो पांच साल तक लागू नहीं किए गए। कांग्रेस किस तरह काम करती है, इसके कई उदाहरण हैं।

जानिए क्या है फ्रीबीज मुद्दा, SC भी नोटिस भेज चुका
राजनीतिक दलों के द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त की योजनाओं के वादों पर 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। CJI डीवाई चंद्रचुड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था।

कर्नाटक के शशांक जे श्रीधर ने याचिका में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए गए मुफ्त योजनाओं के वादे को रिश्वत घोषित करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग ऐसी योजनाओं पर फौरन रोक लगाए। कोर्ट ने पुरानी याचिकाओं के साथ आज की याचिका को सुनवाई के लिए मर्ज कर लिया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि, ‘राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं को कैसे पूरा करेंगे, यह नहीं बताते। इससे सरकारी खजाने पर बेहिसाब बोझ पड़ता है। यह वोटर्स और संविधान के साथ धोखाधड़ी है। इसलिए इस पर रोक के लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।’

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